Colombo : श्रीलंका इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. वहां अब खाने-पीने समेत रोजमर्रा की जरूरत की कई चीजों की कमी हो गई है. बेतहाशा महंगाई हो गई है. विपक्ष से लेकर आम जनता सरकार का विरोध कर रही है. इसी बीच श्रीलंका की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. श्रीलंका ने नॉर्वे और ईराक समेत कई देशों में अपने दूतावासों को बंद कर दिया है. वहीं ऑस्ट्रेलिया में स्थित अपने वाणिज्य दूतावास को अस्थायी तौर पर बंद करने का फैसला लिया है. श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार के लगभग समाप्त हो जाने से शुरू हुआ यह संकट अब राजनीतिक और सामाजिक संकट का रूप ले चुका है. सरकार में शामिल कई प्रभावशाली लोग एक के बाद एक पद छोड़ रहे हैं. दूसरी ओर जरूरी चीजों के भाव आसमान पर पहुंच जाने से आम लोगों के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है.
मंत्रिमंडल ने दिया था सामूहिक इस्तीफा
बता दें कि श्रीलंका में हिंसा और राजनीतिक अटकलों के बीच मंत्रिमंडल ने तीन मार्च की देर रात सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. हालांकि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने त्यागपत्र नहीं दिया था. इसके बाद श्रीलंका में जल्द ही सर्वदलीय सरकार बनने की संभावना जताई जा रही थी, जिसमें विपक्ष के नेताओं को भी शामिल करने की बात कही गई थी. हालांकि, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाई थी और विपक्षी नेताओं ने इसका हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया था.
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राष्ट्रपति गोटबाया के खिलाफ लोगों का विरोध-प्रदर्शन
कोलंबो में जारी आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है. स्थानीय लोगों ने सोमवार को श्रीलंका सरकार के खिलाफ इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर विरोध प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. कर्फ्यू के बावजूद कोलंबो में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी.
पुराना दोस्त भारत आया काम
श्रीलंका की बदहाल अर्थव्यवस्था के बीच उसका पुराना दोस्त भारत ही काम आया है. भारत ने श्रीलंका को न केवल डीजल और अन्य पेट्रो पदार्थों की मदद उपलब्ध कराई है, बल्कि चावल और अन्य खाद्य सामग्री भी भेजी है. श्रीलंका को दो चरणों में एक अरब डॉलर और 1.5 अरब डॉलर की आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई गई है. इससे श्रीलंका के जनसमुदाय के बीच भारत के प्रति समर्थन बढ़ा है. जबकि श्रीलंका में भारी निवेश करने वाले चीन के प्रति नाराजगी बढ़ी है.
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