- ग्रामीणों ने दी चेतावनी : लौह अयस्क की ढुलाई को करेंगे ठप
Kiriburu (Shailesh Singh) : नक्सल प्रभावित सारंडा के करमपदा, नवागांव एवं भनगांव के विकास का सबसे बड़ा बाधक बना रेलवे का अंडर पास. ग्रामीणों ने रेलवे को हिदायत दिया की हमारे गांवों में संचालित होने वाली तमाम प्रकार की विकास योजनाओं के लिये रेलवे अपना रास्ता खोले. अन्यथा करमपदा रेल मार्ग से होने वाली लौह अयस्क की ढुलाई कार्य को पूरी तरह से तमाम गांवों के ग्रामीण मिलकर ठप कर देंगे.
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नवागांव के मुंडा राजेश, भनगांव के मुंडा मंगरा, वार्ड सदस्य जीटु सिद्धू, सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रराम मुंडा, देवधारी कुमार आदि ने बताया की उक्त तीनों गांवों में दशकों वर्ष पूर्व से पेयजल की समस्या है. लोग प्रारम्भ से हीं नदी-नाला का गंदा पानी पीते आ रहे हैं. काफी आवाज उठाने के बाद सरकार ने तीनों गांवों में दर्जनों डीप बोरिंग कर पेयजल समस्या का समाधान हेतु बोरिंग मशीन भेजा है. लेकिन यह बोरिंग मशीन रेलवे द्वारा करमपदा में बनाया गया अंडर पास से पार नहीं हो पा रहा है. उक्त तीनों गांव इस रेल लाईन के दूसरी तरफ स्थित है. अंडर पास जब नहीं बना था तक करमपदा स्थित रेलवे क्रौसिंग से सभी प्रकार की वाहनें पार होती थी. लेकिन जब से अंडर पास बना है तब से उक्त क्रौसिंग को स्थायी रुप से बंद कर दिया गया है. अंडर पास की ऊंचाई इतना कम है कि डीप बोरिंग वाहन एवं सरकारी राशन ले जाने वाली वाहन पार नहीं हो पाती. गांव में भारी वाहन जाने का अब दूसरा रास्ता नहीं है.
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ग्रामीणों ने बताया कि 10 नवम्बर को करमपदा स्टेशन के रेलवे के अधिकारी को आवेदन दिये लेकिन वह आवेदन स्वीकार नहीं कर रहे हैं. उनसे आग्रह करते रहे की करमपदा का बंद रेलवे क्रॉसिंग को खोलकर बोरिंग वाहन गांव में जाने दिया जाये. लेकिन उनके द्वारा कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है. इस मार्ग से सेल की खदानों से लौह अयस्क की सिर्फ ढुलाई होती है. यात्री ट्रेन नहीं चलती है. ऐसी स्थिति में रेलवे हमारे विकास में बाधक बनेगा तो हम सभी ग्रामीण रेलवे ट्रैक जाम कर इस मार्ग से माल ढुलाई का कार्य ठप कर देंगे. इसकी जिम्मेदारी रेलवे की होगी. क्योंकि वह हमें शुद्ध पेयजल से वंचित नहीं कर सकता. या फिर रेलवे तीनों गांवों में शुद्ध पानी का स्थायी व्यवस्था कराये.
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किरीबुरु : …अब जुआरी भी यूपीआई से कर रहे पेमेंट
Kiriburu (Shailesh Singh) : दीपावली पर्व आते ही जुआ का खेल पूरे क्षेत्र में शुरू हो जाता है. कुछ लोग तो इसे परम्परा के तहत सिर्फ अपने घर-परिवार के लोगों के साथ घर पर ही खेलकर परम्परा निभाने का कार्य करते हैं. वहीं कुछ प्रोफेशनल लोग दीपावली पूर्व से लेकर कुछ दिन बाद तक स्थान बदल बदल कर रात दिन जुआ खेलते हैं. इस बार प्रोफेशनल जुआरियों की समस्या व सुविधा यूपीआई औन लाईन पेमेंट ने बढा़ दी है. इससे कुछ जुआरियों को भारी लाभ तो कुछ को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस सुविधा की वजह से जुआरियों को कैश घटने की स्थिति में बैंक अथवा एटीएम का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है. अधिक कैश लेकर भी चलने की जरुरत नहीं पड़ती है.
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एक जुआरी ने बताया की औन लाइन पैसा ट्रांजेक्शन सुविधा की वजह से उसे इस दीपावली में भारी हार का सामना करना पडा़ है. पहले जब जुआ खेलने जाते थे तो 10-20 हजार कैश रखते थे. उसी से जितते व हारते थे. कभी जुआ स्थल पर पैसा उधार मिला तो ठीक, अन्यथा हारने के बाद वापस घर चले आते थे. लेकिन इस बार हारे हुये पैसा को वापस लाने के चक्कर में निरंतर जुआ खेलते रहे. जितने वाले जुआरी को खेल जगह हीं यूपीआई आईडी से औन लाईन पैसा स्थानान्तरित करते रहें. यह स्थिति सभी जुआरियों के साथ है. पुलिस से अधिक कैश पकडा़ने का भी खतरा नहीं है. हालांकि इस बार जुआरी बहुत सतर्क होकर सारंडा के जंगल-झाडी़ या फिर शहरी क्षेत्रों में कुछ खास सुरक्षित स्थानों पर जुआ खेल रहे हैं.