सौरभ शुक्ला
Ranchi : ये बेबस आंखें अपनों की राह देखता है. हर आने-जाने वालों में अपनों की तलाश करता है. शायद कि उनके अपने घर वाले उन्हें यहाँ से लेकर जाए. रिम्स के पुराने कैंटीन के पास खुले आसमान के नीचे 3 लावारिस व्यक्ति अपने घर जाने की आस देख रहा है. लावारिश मरीज टकटकी लगाये सब को देखते है. पूछने पर घर का पता बताते और घर जाने की बात भी कहते है.
इसे भी पढ़ें –देवघर : चीफ जस्टिस और उनकी पत्नी ने किया पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरूआत, बच्चों को पिलाया खुराक
रिम्स का शववाहक दीपक रखता है लावारिस मरीजों का ख्याल
बेबसी,मुफलिसी और लाचारी की मार के सहारे अब तो आस भी सांस पर टिकी हुई है. कहने को तो इंसान एक सामाजिक प्राणी है, लेकिन जब इंसान की अंतरात्मा ही मर जाए तो भला क्या कहना. रिम्स के पुराने कैंटीन के पास 3 लावारिस लोग है. जिसमें 1 महिला और 2 पुरुष है. लावारिस मरीज अपनों की आस देख रहे हैं. सड़क पर घूमने के दौरान दुर्घटना में घायल लावारिस मरीजों को पीसीआर ने रिम्स में इलाज के लिए लाया और कई माह से ये सभी यहीं पर रह रहे हैं. अस्पताल का शववाहक दीपक लावारिस मरीजों का ख्याल रखता है. समय पर दवाई के साथ इन्हें खाना देता है.
इसे भी पढ़ें –दुमका : 2 फरवरी को 42 वां झारखण्ड दिवस मनाया जायेगा, हेमंत सोरेन होंगे शामिल, दिन में होगा कार्यक्रम का आयोजन
नजमा बताती हैं अपना नाम और घर का पता भी
पुराने कैंटीन में खुले आसमान के नीचे 55 वर्षीय महिला अपना नाम नजमा बताती है. पति का नाम जबादी बताती है. पति की 6 साल पहले मौत हो जाने की बात भी कहती है. जबकि बेटे का नाम बेलाल और बेटी का नाम जुबैदा कहती है. पता पूछने पर बताती हैं कि दरजी मोहल्ला औरंगाबाद घर है और घर जाने की इच्छा है.
इसे भी पढ़ें –BiggBoss14: घर में जल्द हो सकती है Eijaz Khan की वापसी
75 वर्षीय कौशल कुमार सिंह को याद है अपने घर का पता
वहीं 75 वर्षीय लावारिस मरीज अपना नाम कौशल कुमार सिंह बताते हैं. बात करने पर टूटे-फूटे शब्दों में अपने घर का पता आरा जिला के दुलारपुर गांव कहते हैं. परिवार वालों की याद भी बहुत आती है, लेकिन इनका अपना कोई नहीं है, जो इनकी सुध ले और इन्हें अस्पताल से लेकर घर चले जाए. लिहाजा अस्पताल ही इनका आशियाना है और पेट की आग बुझाने के लिए खाना इन्हें रिम्स का शव वाहक दीपक दे देता है.
इसे भी पढ़ें –रामगढ़ : जिला प्रशासन से नाराज होकर रामगढ़ विधायक ममता देवी ने लौटाया अपना बॉडीगॉर्ड
AG मोड़ में करता था काम, सड़क दुर्घटना के बाद पुलिस ने पहुंचाया रिम्स
लावारिस मरीजों में से एक नाम कृष्णा का भी है. डोरंडा के एजी मोड़ में रहता था. यही एक दुकान में काम करता था. सड़क दुर्घटना में घायल हो गया जिसके बाद पीसीआर ने कृष्णा को रिम्स पहुंचा दिया. बोलचाल की भाषा में वह बंगला बोलता है और घर का पता उसे याद नहीं है.
इसे भी पढ़ें –BiggBoss14: Rakhi पर भारी पड़ा उनके एंटरटेनमेंट का तरीका, Abhinav को मिला सेलेब्स का सपोर्ट