Ranchi: झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (JIADA) का टेंडर घोटाला चर्चा में है. सरकार ने कार्रवाई का आदेश दिया है. साथ ही अब तक हुए टेंडर की जांच करने का फैसला लिया है. सरकार की रिपोर्ट में इन सबके पीछे जियाडा के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार की भूमिका संदेहास्पद बतायी गयी है.
इन सबके बीच एक सवाल भी घूम रहा है. वह यह कि सुनील कुमार असल में सहायक अभियंता है. आखिर किन परिस्थितियों में सुनील कुमार को कार्यपालक अभियंता बनाया गया. इतना ही नहीं उन्हें सालों से इसी पद पर रखा गया.
आखिर उनको किनका संरक्षण हासिल है. जिसकी बदौलत वह कार्यपालक अभियंता के लिए योग्य नहीं रहते हुए भी लंबे समय से इस पद पर बने हुए हैं.
अभी जो मामला सामने आया है और जिस पर सरकार ने कार्रवाई का आदेश दिया है, उसमें जियाडा ने सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में सड़क, नाली, ड्रेन, स्ट्रीट लाइट आदि का काम करने के लिए टेंडर निकाला था.
काम की कुल लागत 44 करोड़ रुपये था. यह काम मदन लाल बजाज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (Madan Lal Bajaj Construction Pvt) को आवंटित किया गया था.
मदन लाल बजाज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर आरोप है कि उसने टेंडर हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. उन पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहा गया है.
सरकार ने मामले में जियाडा के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार समेत अन्य पदाधिकारियों से भी 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है. सरकार की यह कार्रवाई प्रारंभिक जांच के बाद हुई है, इससे स्पष्ट है कि कार्यपालक अभियंता की भूमिका भी सवालों के घेरे में है.
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