Hazaribagh: विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति मुकुल देव नारायण एक ऐसा फरमान जारी किया है. जिससे विश्वविद्यालय के कर्मचारी परेशान हैं. दरअसल कुलपति ने अपने आदेश में कहा है कि विश्वविद्यालय में कार्य करने वाले कोई भी तृतीय वर्ग और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी ड्यूटी आवर में एंड्रॉयड स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. उन्हें केवल कीपैड वाली मोबाइल से ही काम चलाना पड़ेगा.
लेकिन आदेश में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि आखिर ड्यूटी आवर में एंड्राइड फोन का इस्तेमाल क्यों नहीं करना है. साथ ही इससे विश्वविद्यालय को क्या परेशानी हो रही थी. इस आदेश के बाद कर्मचारी संघ काफी गुस्से में है और इसको लेकर आंदोलन के मूड में है.
संगठन के सचिव केशव रविदास ने कहा इस आदेश के खिलाफ आज संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल कुलपति से मिलेगा. और इस आदेश को रद्द करने की मांग करेगा. क्योंकि अभी संचार क्रांति के जमाने में ऐसे आदेश हास्यास्पद हैं. ऑफिस से लेकर रोजमर्रा के काम अभी के समय में स्मार्टफोन पर ही हो रहे हैं. कई बार फाइलों को जल्द निपटाने के लिए व्हाट्सएप का भी इस्तेमाल करना होता है. और ऐसे में इस तरह का निर्णय समझ से परे है.
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एफओ की नियुक्ति को लेकर जुड़ा है मामला
सूत्र बताते हैं कि यह पूरा मामला कुछ और ही है. जिसकी वजह से ऐसे आदेश निकालने पड़े हैं. सूत्रों की मानें तो यह पूरा मामला यूनिवर्सिटी के फाइनेंस ऑफिसर के नियुक्ति को लेकर है. अभी अमिताभ सामंता इस पद पर बने हुए हैं, जिनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय के स्थानीय कमेटी ने की है. और इसकी जानकारी राज्यपाल को प्रेषित की है.
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, रजिस्ट्रार और फाइनेंस ऑफिसर की नियुक्ति जेपीएससी के सिफारिश पर की जाती है. सूत्र बताते हैं कि जेपीएससी ने सिफारिश करने में विलंब किया था. जिससे अमिताभ सामंता की नियुक्ति स्थानीय स्तर की कमेटी ने सहमति बनाकर की थी. अब जब जेपीएससी ने विकास कुमार के नाम को अनुशंसा कर भेजा है. तो इसपर दो बार स्थानीय कमेटी ने अनुशंसा की मुहर भी लगा दी. उसके बावजूद अभी तक विकास कुमार की नियुक्ति फाइनेंस ऑफिसर के पद पर नहीं हुई है.
किसी ने इसी पूरी प्रोसिडिंग की फोटो अपने मोबाइल से लेकर जेपीएससी और राज्यपाल के पास भेज दी है. जिससे विश्वविद्यालय को काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. सूत्र बताते हैं कि इसी कारण कुलपति ने ऐसा आदेश निकाला है, क्योंकि उन्हें लगता है कि किसी तृतीय या चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी ने फाइल की प्रोसिडिंग अपने एंड्रॉयड फोन से खींच कर बाहर भेजी है. मामला जो भी हो लेकिन इस आदेश के बाद विश्वविद्यालय की किरकिरी हो रही है. जिसकी वजह से आज संगठन के आंदोलन के निर्णय के बाद लगता नहीं है यह मामला यहीं तक रुकेगा.
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