Ranchi: जितने भी सिविल सर्जन हैं, जिनका मन काम पर नहीं लग रहा है वे बताएं. उन्हें हटाया जाएगा और उनकी जगह किसी और को सिविल सर्जन बनाया जाएगा. ताकि उनका मन काम में लग सके और जिला के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके. उक्त बातें आईएमए झारखंड वीमेंस विंग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा शनिवार को नामकुम स्थित आरसीएच हॉल में आयोजित सर्वाइकल प्री कैंसर को लेकर कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सभी जिला के सिविल सर्जन के काम से नाखूश होकर उन्हें फटकार लगाते हुए कही.
राज्य में सर्वाइकल प्री कैंसर के जांच व इलाज को लेकर एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित की गई. इसके जांच के लिए सूबे के 11 जिलों के सदर अस्पताल में जांच व इलाज के लिए मशीनें स्थापित की गई थी. लेकिन किसी भी जिले में अब तक इसका उपयोग नहीं हो सका. इसके उपयोग व राज्य को सर्वाइकल प्री कैंसर मुक्त राज्य बनाने को लेकर सभी 11 जिलों के सिविल सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ व अस्पताल प्रबंधन को कॉन्फ्रेंसिंग में जोड़कर दिशा निर्देश दिए गए. इस दौरान जब मशीनों से संबंधित जानकारी अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह द्वारा मांगी गई तो पता चला कि गोड्डा के सिविल सर्जन को इसकी जानकारी ही नहीं है.
इसपर अरुण कुमार सिंह ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि मजा मारने के लिए सिविल सर्जन नहीं बनाया गया है. सिविल सर्जन से अपेक्षा की जाती है कि वे पद में रहकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दें. इसके लिए विभाग की ओर से हर तरह से सपोर्ट दिया जा रहा है. मैनपावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन आदि सभी उपलब्ध कराएं गए हैं.
12 और 19 जुलाई को मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली की गायनी ऑकोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉ. कनिका गुप्ता इसी कार्यक्रम के तहत जिलों के सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञों को ट्रेनिंग देंगी. वे बताएंगी कि किस तरह ओपीडी में महिलाओं का सर्वाइकल कैंसर को लेकर स्क्रीनिंग किया जाना चाहिए.
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वीमेंस डॉक्टर्स विंग 2015 से ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने में लगी
कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान डॉ. भारती कश्यप ने कहा कि वीमेन डॉक्टर्स विंग वर्ष 2015 से ही विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सजग है और इस दिशा में कार्य कर रही है. यह विंग महिलाओं के स्वास्थ्य पर खासा ध्यान देते हुए राज्य के विभिन्न जिलों में महिलाओं व किशोरियों को सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग कैंप और एनीमिया डिटेक्शन कैंप के माध्यम से सर्वाइकल कैंसर से संबंधित लक्षण व चेतावनी, सुरक्षित मासिक धर्म, उचित यौन व्यवहार, सही उम्र में शादी और अपने जीवन पर बेहतर नियंत्रण रखने की आवश्यकता के संबंध में लगातार शिक्षित करती आ रही हैं. स्क्रीनिंग कैंप में आने वाली महिलाओं में करीब 60% महिलाओं को जननांग संक्रमण से पीड़ित पाया गया.
झारखंड देश का पहला राज्य जहां 50% जिलों के सदर अस्पताल में सर्वाइकल प्री-कैंसर की जांच व इलाज की सुविधा
देश में सर्वाइकल कैंसर से संबंधित कोई जागरूकता अभियान या सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम नहीं होने के कारण महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी के आभाव में महिलाएं पहले की तुलना में ज्यादा असुरक्षित व अस्वस्थ हो गई हैं. इस संदंर्भ में वीमेन डॉक्टर्स विंग ने इस विंग से जुड़ने के लिए पूर्व में ही नेताओं को प्रेरित किया था. जिससे प्रभावित होकर तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सर्वाइकल प्री कैंसर की पहचान व उपचार के लिए सदर अस्पताल, साहेबगंज में कंप्यूटर सहित डिजिटल कोल्पोस्कोप व क्रायो सेट और संथाल परगना प्रमंडल अंतर्गत 5 सदर अस्पतालों में नाइट्रस गैस सिलिंडर सहित क्रायो मशीन स्थापित करवाया. डॉ भारती कश्यप ने भी रांची के सदर अस्पताल में डिजिटल विडियो कोल्स्पोस्कोप और क्रायो मशीन डोनेट किया था.
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