NewDelhi : कुमार मंगलम बिड़ला द्वारा बुधवार को घाटे में चल रही कंपनी वोडाफोन आइडिया के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दिये जाने के बाद तरह-तरह के कयास लग रहे हैं. खबर आ रही है कि सरकार कंपनी का अधिग्रहण कर सकती है. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में टिप्पणी की है. कहा कि सरकार ऐसे सफेद हाथियों को नहीं खरीद सकती है.
Birla owes the government more than Rs. 1.20 lakh crores in dues? Birla wants government to take over the Vodafone Idea Company as payment. If true, it is ridiculous. Government cannot buy such white elephants. Hence Birla should offer his profit making companies instead,
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 5, 2021
बिड़ला मुनाफा कमाने वाली कंपनियों की पेशकश करे
स्वामी ने गुरुवार को याद दिलाया कि बिड़ला पर सरकार का 1.20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है. कुमार मंगलम बिड़ला चाहते हैं कि सरकार भुगतान के रूप में वोडाफोन-आइडिया कंपनी का अधिग्रहण करे. स्वामी ने कहा कि अगर यह सच है तो यह बेहद हास्यास्पद है. स्वामी के अनुसार सरकार ऐसे सफेद हाथियों को नहीं खरीद सकती. बिड़ला को कर्ज में डूबी कंपनी के बजाय अपनी मुनाफा कमाने वाली कंपनियों की पेशकश करनी चाहिए.
जान लें कि इस्तीफा देने पहले आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी छोड़ने की बात कही थी. कहा था कि वह अपनी हिस्सेदारी सरकार या किसी अन्य कंपनी (जिसे सरकार समझे कि वह चला सकती है) को देने के लिए तैयार हैं.
सरकार टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए पैकेज का ऐलान कर सकती है.
सरकार द्वारा बिड़ला की इस पेशकश पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया सामने आने की खबर नहीं है. लेकिन सूत्रों की मानें तो सरकार टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए पैकेज का ऐलान कर सकती है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस माह के अंत में ऐसी कोई घोषणा संभव है, जान लें कि जब वोडाफोन आइडिया कंपनी का मर्जर हुआ है.
तब .कंपनी किसी भी क्वार्टर में फायदे में नहीं रही है. इसके उलट लगातार ग्राहक कम होते चले गये. परिणाम सामने है कि कंपनी पर अब 1.80 लाख करोड़ रुपए का बकाया है. बिड़ला द्वारा इस्तीफा दिये जाने के बाद वर्तमान में हिमांशु कपानिया कंपनी में नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं रहे हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब सुब्रमण्यम स्वामी ने खुलकर सरकार के किसी फैसले के आम होने से पहले उसकी आलोचना की हो. हाल ही में उन्होंने सरकार की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि यह कुछ भी नहीं सिर्फ खिचड़ी पकायी जा रही है