Girish Malviya
एक देश में एक कार्टूनिस्ट से सरकार डरती है. सरकार दबाव बनाती है कि उस कार्टूनिस्ट को उसका संस्थान नौकरी से बेदखल कर दे. यहां बात किसी और देश की नहीं हो रही है! हम भारत की बात कर रहे हैं. हम मोदी सरकार की बात कर रहे हैं. और हम कार्टूनिस्ट मंजुल की बात कर रहे है.
देश के जाने माने कार्टूनिस्ट मंजुल को उनके संस्थान नेटवर्क-18 ने “तत्काल प्रभाव” से निलंबित कर दिया है.
पिछले दिनों ट्विटर को उनके ट्विटर अकाउंट के खिलाफ भारत सरकार से शिकायत मिली थी. इस बारे में मंजुल ने अपने ट्विटर एकाउंट पर ट्विटर की तरफ से आए एक ई-मेल को शेयर करते हुए इस बात की जानकारी दी थी कि भारतीय लॉ एनफोर्समेंट की तरफ से शिकायत मिली है कि उनका कंटेंट भारतीय कानून का उल्लंघन है.
तो यह जानना जरुरी है कि आखिर मंजुल क्या गलत कर रहे थे ? एक कार्टूनिस्ट को ऐसे दौर में जो करना चाहिए वो वही तो कर रहे थे! वे अपने व्यंगचित्रों के जरिए सरकार को आईना दिखा रहे थे.
मीडिया का असली काम है आम पाठकों की चेतना को झकझोर कर जनमत का निर्माण करना. निष्पक्ष व निर्भीक रहकर सच को उद्घाटित करना पत्रकारिता के दायित्व हैं. मंजुल अपना दायित्व ही निभा रहे थे.
लेकिन यह न्यू इंडिया है. वर्ष 2008 से 2014 के दौर में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों का कब्जा इसलिए ही तो करवाया गया था कि मोदी का माहौल बनाया जा सके. अब ऐसे में मंजुल जैसे अदना मुलाजिम उसकी निर्मम सत्ता की असली तस्वीर जनता को दिखा रहे हैं तो यह गुनाह बर्दाश्त कैसे किया जा सकता है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.