सूरते हाल: मेगा जलापूर्ति योजना वर्ष 2016 में शुरू हुई थी, 2019 में पूरी होनी थी
– 10 माह के बाद भी नहीं हुआ नई कंपनी का चयन
– नवंबर 2022 से बंद है जलापूर्ति योजना का काम
– 475 गांव को पाइपलाइन से पानी पहुंचाया जाना है
– कायदे से मई में ही सबकुछ फाइनल हो जाना था
Mithilesh Kumar
Ranchi: 941 करोड़ रुपए की निरसा-गोविंदपुर मेगा जलापूर्ति योजना टेंडर के पेंच में उलझ गई है. एक साल बीत जाने के बाद भी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (पीएचईडी) नई कंपनी का चयन नहीं कर सका है. नवंबर 2023 भी अब समाप्त होने वाला है, पीएचईडी के अधिकारी अब दिसंबर महीने का इंतजार कर रहे है. 50 प्रतिशत से अधिक अधूरे पड़े काम धूल फांक रहे हैं. 475 गांव को पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का यह कार्य 5 साल पीछे जा चुका है. पीएचईडी के अधिकारियों का कहना है कि फरवरी में टेंडर निकाला गया था, कायदे से मई में सबकुछ फाइनल हो जाना था, लेकिन अभी तक टेंडर फाइनल क्यों नहीं हुआ है, इसके बारे में तो रांची मुख्यालय के लोग ही साफ तौर पर कुछ बता सकते हैं. टेंडर का काम धनबाद से नहीं होता है. मुख्यालय चयन कर जिस कंपनी को भेजता है, हमलोग उसी से काम लेते हैं. हमारा काम मॉनिटरिंग करना है. एसे 15 दिसंबर तक सबकुछ फाइनल होने की उम्मीद है.
बता दें कि यह योजना वर्ष 2016 में शुरू हुई थी, इसे 2019 में पूरा करना था. पीएचईडी ने इजराइल की टहल कंपनी को काम को दिया गया था. एनओसी के पेंच, स्थानीय लोगों के विरोध, छुटभैया नेताओं का दखल और कंपनी की लापरवाही के कारण योजना का काम रुकता रहा. वर्ष 2022 तक 50 प्रतिशत से भी कम काम हुआ. अंततः तत्कालीन डीसी संदीप सिंह के आदेश के बाद कंपनी को हटा दिया गया. पहले मेगा जलापूर्ति योजना 667 करोड़ रुपए की थी, योजना के लेट होने के साथ इसकी राशि में 274 करोड़ रुपए की वृद्धि करनी पड़ी है. योजना का कुल खर्च बढ़ कर 941 करोड़ पहुंच गया है. इसमें से पीएचईडी ने पूर्व की कंपनी को 150 करोड़ रुपए का भुगतान किया है. इसके बाद 791 करोड़ का टेंडर भी निकाला जा चुका है, जो अभी तक फाइनल नहीं हुआ है. यह योजना डीएमएफटी की राशि से संचालित हो रही है. वहीं कम से हटाए जाने के बाद टहल ने न्यायालय का रुख किया था, यह मामला भी अभी विचाराधीन है.
यह काम रह गया अधूरा
पेयजल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निरसा उत्तरी और दक्षिण जोन मिला कर कुल 39 पानी टंकी का निर्माण होना था. लेकिन मुश्किल से 40 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है. मैथन और पंचेत डैम के पास दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनना है, जिसका 70 फीसदी काम पूरा हुआ है, शेष काम नई कंपनी करेगी. मैथन व पंचेत डैम में इनटेकवेल का काम भी बाकी है. पाइपलाइन भी 15-20 प्रतिशत ही बिछी है. इसे पूरा होने में 2 साल से अधिक समय लगेगा.
टेंडर का काम लेट नहीं हुआ हैः जेशोन होरो
कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी 1 के जेशोन होरो ने कहा कि पूर्व की पूरी जानकारी तो नहीं है, लेकिन जहां तक मैं जानता हूं निरसा मेगा जलापूर्ति के टेंडर का काम लेट नहीं हुआ है. प्रक्रिया चल रही है. 15 दिसंबर तक वर्क ऑर्डर मिल जाएगा. उसके बाद बाकी बचे काम शुरू कराए जाएंगे.