Ranchi : झारखंड विधानसभा में सोमवार को सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है कि हमने कब कहा कि हमें 1932 के खतियान से ऐतराज है. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पूछा, सरकार बताएं कि क्या सरकार 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करना चाहती है या नहीं. इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है कि यह मामला 2002 के बाद से लंबित रहा है. 2016 में इस पर निर्णय लिया गया था. हमारी सरकार सारी वस्तुस्थिति को देखने के बाद झारखंड के परिप्रेक्ष्य में जो बेहतर होगा, उसे ही लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने भी बीते दिनों इसी बात को कहा था.
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मामला सरकार के समक्ष विचाराधीन है – आलम
सरकार का पक्ष रखते हुए आलमगीर आलम ने कहा कि नियोजन नीति में “स्थानीय व्यक्ति” की परिभाषा के संबंध में हाई कोर्ट में दायर दो जनहित याचिका में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय खंडपीठ ने 27 नवंबर 2002 को निरस्त कर दिया था. और स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए सरकार से निर्णय लेने की अपेक्षा की गई. 18 अप्रैल 2016 को कार्मिक विभाग द्वारा स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान की गई. राज्य में लागू स्थानीय नीति की पुर्नसमीक्षा के लिए त्रिस्तरीय मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन का मामला सरकार के समक्ष विचाराधीन है.
सरयू राय के सवाल का सुदेश ने किया समर्थन
सरयू राय के पूछे सवाल का आजसू विधायक सुदेश महतो ने भी समर्थन किया. उन्होंने सरकार से पूछा, सरकार स्पष्ट बताएं कि 1932 के आधार पर सरकार स्थानीय नीति बनाएगी या नहीं. प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार को एक समय सीमा के अंदर इसका निदान करना चाहिए.
पूरे मामले पर आलमगीर आलम ने कहा कि हमने कब कहा, हम 1932 के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन हमें यह भी देखना होगा, जो लोग पिछली 5 पीढ़ी से झारखंड में रह रहे हैं, जिनका 1972 खतियान बना,वे कहां जाएंगे.
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