Girish Malviya
पूरी दुनिया में अब सरकारे एंटी मोनोपोली पर स्टैंड ले रही है. लेकिन यहां भारत में मोदी सरकार सब कुछ दो कारोबारी घरानो को सौंपने में लगीं हुई है.
कल एक अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस में खबर आयी कि अडानी समूह को एक साथ देश के छह बड़े एयरपोर्ट सौंप दिए जाने पर नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने गहरी आपत्ति जताई थी.
कल ही एक और खबर आयी है. वह यह कि चीन की सरकार अपने वित्तीय बाजार में अलीबाबा ओर एंट ग्रुप के मालिक जैक मा की बढ़ती हुई भूमिका के कारण उसके व्यापार का राष्ट्रीयकरण करने की सोच रही है. अमेरिका में फ़ेसबुक, गूगल, अमेजन जैसी कंपनियों को एंटी ट्रस्ट लॉ में कार्यवाही का भय सता रहा है. उन्हें हर साल कांग्रेस के सामने पेश होना पड़ता है. लेकिन भारत में ऐसी किसी खबर की उम्मीद ही नहीं की जा सकती हैं.
हवाई अड्डे अडानी समूह को सौंपे जाने वाली खबर में वित्त मंत्रालय का कहना था कि ये 6 एयरपोर्ट हाइली कैपिटल इंटेसिव हैं. एक ही कंपनी को दे देना ठीक नहीं है. एक कंपनी को दो से अधिक एयरपोर्ट नहीं दिए जाने चाहिए.
नीति आयोग के विरोध का दूसरा कारण भी था. नीति आयोग का कहना था कि पीपीपी का मेमो सरकार की नीति के खिलाफ है. जिस बिडर के पास तकनीकी क्षमता नहीं होगी. वह सरकार की प्रतिबद्धता के मुताबिक सेवाएं नहीं दे पाएगा. दरअसल, अडानी के पास एयरपोर्ट संचालित करने का कोई मानक एक्सपीरियंस नही था.
लेकिन मोदी सरकार ने वित्त मंत्रालय की सिफारिश मानी ओर न ही नीति आयोग की. उसने 50 साल के लिए अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को संचालित करने का अधिकार अडानी को सौंप दिया.
क्या आपने किसी को भी इससे पहले किसी एयरपोर्ट को 50 साल के लिए लीज पर दिए जाने की बात कभी सुनी थी ? इस तरह के ठेके या तो एक साल या तीन साल या बहुत अधिक से अधिक 5 साल की अवधि के लिये दिया जाता है. अगर आपकी पकड़ बहुत तगड़ी हो तो आप नियम शर्तों में परिवर्तन करवा कर इसे 10 साल के लिए हासिल कर सकते है.
लेकिन मोदी सरकार ने वर्ष 2070 तक अडानी को यह एयरपोर्ट सौंप दिए. दो महीने पहले मोदी सरकार ने मुम्बई का हवाई अड्डा, जो GVK ग्रुप के पास था, उस पर यह दबाव बनाया कि GVK ग्रुप यह एयरपोर्ट अडानी को सौंप दे. ईडी ने जीवीके समूह के प्रवर्तकों और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) के अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज कराया. इससे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच करवा कर दबाव बनाया गया. अन्ततः GVK ने भी मैदान छोड़ दिया और अडानी का मुम्बई एयरपोर्ट पर भी कब्जा हो गया.
साल भर के अंदर ही अडानी समूह देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट ऑपरेटर बन गया है. देश में 123 में से केवल 14 हवाई अड्डे लाभ की स्थिति में हैं, शेष 109 नुकसान में हैं. और इन 14 में से 6 हवाई अड्डे अडानी को सौंप दिए गए हैं. बाकी भी कतार में है.
भारतीय रेलवे की सबसे भव्य इमारत वाला रेलवे स्टेशन मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस ( विक्टोरिया टर्मिनस) को खरीदने को अडानी इच्छुक हैं. इससे पहले वह नई दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास स्थित नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को खरीदने के लिए भी अपनी रूचि दर्शा चुके हैं.
इसके पहले विदेशी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण देश के तमाम पोर्ट्स पर वह कब्जा जमा चुके हैं. कॉनकोर पर भी वह नजरे गड़ाए हुए हैं. यानी देश का ट्रांसपोर्टेशन ओर लॉजिस्टिक पूरी तरह से अडानी के हाथों में है. तो क्या भारत में कुछ कारोबारी समूह फ्रेन्कस्टाइन बन गए हैं. दानव बन गए है. जो सब कुछ हड़पते जा रहे हैं.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.