Ranchi: झारखंड में घटी कई घटनाओं की निष्पक्षता से जांच कर रिपोर्ट देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जांच समितियां बनायी गई हैं. ऐसे घटनाओं में देवघर रोपवे हादसा, रांची हिंसा के अलावा निजी विश्वविद्यालयों की कार्यशैली और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेपीएससी) नियुक्ति नियमावली में संशोधन को लेकर जांच शामिल हैं. सभी मामलों की जांच की बात हो रही है, लेकिन वास्तविकता यही है कि जांच रिपोर्ट कब तक आ जाएगी, इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है.
सबसे पहले बात रोपवे हादसा और उससे जुड़ी जांच रिपोर्ट की
देवघर स्थित त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसा पिछले साल 10 अप्रैल को हुआ. हादसे में तीन लोगों की मौत हुई थी. सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच के लिए 19 अप्रैल को एक कमिटी गठित की. वित्त सचिव रहे अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी बनी. रिपोर्ट 2 माह में सौंपनी थी. स्थिति यह है कि 11 माह बीत चुके हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं सौंपी गई. इस बारे में अजय कुमार सिंह से फोन और मैसेज द्वारा भी संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पायी.
9 माह बाद भी रांची हिंसा पर रिपोर्ट नहीं, बोले आईएएस अभिताभ कौशल – लास्ट स्टेज में
10 जून 2022 को राजधानी रांची में हिंसक घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच कमिटी बनी थी. कमिटी के सदस्यों में वरिष्ठ आईएस अमिताभ कौशल और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संजय आनंदराव लाठकर हैं. हिंसा को लेकर 9 माह से ज्यादा समय बीत गए हैं, लेकिन रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है. यह स्थिति तब है, जब तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस भी देरी को लेकर नाराजगी जता चुके हैं. (अब वे झारखंड के राज्यपाल नहीं हैं). राज्यपाल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से पत्राचार भी किया और इस पर गंभीरता से विचार करने को कहा. इस बारे में सदस्य अभिताभ कौशल ने बताया है कि जांच रिपोर्ट पूरी हो चुकी है. रिपोर्ट लास्ट स्टेज में है. अब इसे कोर्ट में जमा किया जाएगा.
बता दें कि रांची के मेन रोड में उपद्रव, गोलीबारी और पत्थरबाजी की घटना की जांच के लिए समिति ने पहले एक माह, फिर दो माह का समय मांगा. गृह विभाग की ओर से अवधि विस्तार की अनुमति दे दी गई. लेकिन रिपोर्ट अबतक नहीं आयी.
जेपीएससी: 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपनी थी, बीते गए 81 दिन
झारखंड कंबाइड सिविल सर्विस एग्जामिनेशन रुल्स– 2021 नियमावली में कतिपय संशोधन को लेकर झारखंड लोक सेवा आयोग ने कुछ प्रस्ताव कार्मिक विभाग को दिए गए थे. इस प्रस्ताव की समीक्षा एवं निर्णय के लिए बीते 28 दिसंबर को कार्मिक विभाग की ओर से एक त्रि-सदस्यीय कमिटी बनायी गयी. कमिटी के अध्यक्ष वरिष्ठ आईएएस एल. ख्यांगते हैं. वहीं सदस्यों में अजय कुमार सिंह और वंदना दादेल हैं. कमिटी को 15 दिनों के भीतर अपनी अनुशंसा देनी थी. आज 81 दिन बीत गए, लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गयी. इसका असर यह होगा कि सिविल सेवा परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है.
रिपोर्ट देने में देरी क्यों, यह जानने के लिए आईएएस ख्यांयते से फोन कॉल और मैसेज कर संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पायी.
दो माह में केवल एक बार बैठक, ऐसे में निजी विश्वविद्यालय पर कैसे लगे लगाम
राज्य में कार्यरत निजी विश्वविद्यालयों पर लगे नियम विरूद्ध संचालन के आरोप के बाद दो माह पहले विधानसभा की ओर से पांच सदस्यीय कमिटी गठित की गयी. कमिटी का काम है कि वह जांच कर विधानसभा को रिपोर्ट दें कि निजी विश्वविद्यालय यूजीसी और राज्य सरकार की ओर से तय किए गए नियम के मुताबिक, संचालित हो रहे हैं या नहीं. कमिटी के अध्यक्ष झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी हैं. सदस्यों में चार विधायक विनोद सिंह, केदार हाजरा, लंबोदर महतो और रामचंद्र सिंह शामिल हैं. स्थिति यह है कि कमिटी ने अभी तक केवल एक बार बैठक की है. बैठक में सभी निजी विश्वविद्यालय पर स्थिति रिपोर्ट मांगी गयी है. कमिटी के सदस्य रामचंद्र सिंह ने इस बात की पुष्टि की है.