Vinit Upadhyay
Ranchi : 34 वें राष्ट्रीय खेल घोटाला और खूंटी का मनरेगा घोटाला झारखंड के दो चर्चित मामले हैं. जिसमें राज्य के बड़े नौकरशाह और एसीबी की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हैं. जहां न्यायालय और आम जनता को भी धोखे में रखा गया. दोनों ही घोटाले वर्ष 2010 में हुए. हाईकोर्ट के आदेश के बाद नेशनल गेम्स घोटाले की जांच तो सीबीआई ने शुरू कर दिया है, लेकिन क्या मनरेगा घोटाले की जांच वाकई एसीबी कर रही है. या सिर्फ आम जनता ,सरकार और न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है. पढ़िए इस रिपोर्ट में..
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नेताओं और बड़े नौकरशाहों ने कोर्ट को गुमराह किया
राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शीर्ष पर बैठे नेताओं और बड़े नौकरशाहों ने कोर्ट को गुमराह किया है कि मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की जांच निगरानी कर रही है. कोर्ट ने बिना किसी का नाम लिए हुए कहा है कि नेशनल गेम ऑर्गेनाइजिंग कमिटी के सदस्यों में नौकरशाह भी शामिल थे. जो आज बहुत बड़े पद पर हैं. निष्कर्ष यह है कि ऐसी स्थिति में झारखंड निगरानी मामले की सही तरीके से जांच नहीं कर सकती है. इसलिए इसे सीबीआई को दिया जाये.कोर्ट ने एसीबी की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा कर दिया. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. जब एसीबी ने सरकार, जनता और अदालत को गुमराह करने का आरोप लगा हो.
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राज्य की वरीय आईएएस पूजा सिंघल खूंटी की डीसी थीं
वर्ष 2009-10 में खूंटी में मनरेगा सहित अन्य विकास योजनाओं में करीब 18 करोड़ 16 लाख की राशि का घोटाला सामने आया. जिसमें मुख्य साजिश कर्ता के रूप में जूनियर इंजिनियर राम विनोद सिन्हा का नाम सामने आया. उनके खिलाफ 16 मुकदमे दर्ज हुए. उस वर्ष (फरवरी 2009 से जुलाई 2010) वर्तमान में राज्य की वरीय आईएएस पूजा सिंघल खूंटी की डीसी थीं. प्रोग्राम कोर्डिनेटर होने के नाते मनरेगा योजनाओं पर उनका सीधा नियंत्रण था. अरुण कुमार दुबे ने झारखंड हाईकोर्ट में उनकी संलिप्पता की जांच की मांग करते हुए एक जनहित याचिका भी दाखिल की है. कोर्ट ने एसीबी और ED (परवर्तन निदेशालय) दोनों को ही जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
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एसीबी खूंटी के किसी भी मनरेगा मामले की जांच नहीं कर रही
ED ने अपने जवाब में कहा है कि पूजा सिंघल के संदिग्ध संलिप्तता की जांच एजेंसी कर रही है. लेकिन एसीबी ने अपने हलफनामे में स्पष्ट कहा कि पूजा सिंघल के जांच का प्रश्न ही नहीं उठता. क्योंकि एसीबी खूंटी के किसी भी मनरेगा मामले की जांच नहीं कर रही है. ACB ने यह भी कहा कि वह सिर्फ दो मामलो की जांच कर रही है जो मनरेगा से नहीं जुड़े हुए हैं. लेकिन दस्तावेज कुछ और ही कहते हैं. तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा एवं उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने खूंटी से जुड़े सारे मामलों की जांच एसीबी से करवाने का निर्देश दिया था. जिस बात की पुष्टि तत्कालीन ग्रामीण विकास विभाग के सचिव राधे श्याम पोद्दार के एक विभागीय पत्र से होती है. जो उन्होंने वर्ष 2011 में कार्मिक विभाग को लिखा था.
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