NewDelhi : आज का सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशरी और एग्जीक्यूटिव दोनों की भूमिका और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है. जहां जब भी जरूरी हुआ,देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आज अपने विचार रखे.
बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को नहीं समझ पाती
मोदी ने कहा कि बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को नहीं समझ पाती, इसलिए न्याय जनता से जुड़ा होना चाहिए. जनता की भाषा में होना चाहिए. उन्होंने कहा कि साझा सम्मेलन से नये विचार आते हैं. हमें देश की आजादी के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए सबके लिए सरल, सुलभ, शीघ्र न्याय के नये आयाम खोलने गढ़ने की ओर आगे बढ़ना चाहिए.
In 2015, we identified about 1800 laws that had become irrelevant. Out of these, the Centre abolished 1450 such laws. But, only 75 laws have been abolished by the States: PM Modi pic.twitter.com/1fZzpYwfib
— ANI (@ANI) April 30, 2022
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ज्यूडिशरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है
पीएम ने कहा कि न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का यह संयुक्त सम्मेलन हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्रण है. हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है वहीं विधान मंडल नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. पीएम ने कहा कि मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा. कहा कि 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे. इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 क़ानूनों को हमने खत्म किया. लेकिन राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किये गये हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया. पीएम ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है. न्याय की देरी कम करने की कोशिश की जा रही हैं. बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है. कोर्ट में वैकेंसी भरने की प्रोसेस चल रही है. न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है.
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सबका साथ, विकास, विश्वास और प्रयास हमारा मंत्र है : किरेन रिजिजू
जान लें कि सम्मेलन सरकार और न्यायपालिका के बीच एक तरह से पुल माना जाता है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना मौजूद थे. कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि जनता को सरल और शीघ्र न्याय दिलाने के लिए हम सभी प्रयासरत हैं. सबका साथ, विकास, विश्वास और प्रयास हमारा मंत्र है. रिजिजू ने कहा कि पिछले 6 सालों में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बेहतर समन्वय रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कोरोनाकाल में भी वर्चुअल सुनवाई में अग्रणी भूमिका निभाई है. ई कोर्ट न्यायपालिका में एक और पंख है.
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छह साल बाद हो रहा है सम्मेलन
यह सम्मेलन छह साल बाद हो रहा है. इससे पहले, 2016 में यह सम्मेलन हुआ था. पीएमओ ने कहा कि 2016 से अब तक सरकार ने अवसंरचना में सुधार और ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत अदालती प्रक्रियाओं में डिजिटल प्रौद्योगिकी का एकीकरण करने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं. बता दें कि सम्मेलन न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने का एक मंच है. अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए न्यायमूर्ति रमना का प्रस्ताव सम्मेलन के एजेंडे है.