NewDelhi : भीषण गर्मी और लू के कहर के बीच देश में पीक पावर डिमांड अब तक के सबसे रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गयी है. ऊर्जा मंत्रालय ने एक ट्वीट में बताया है कि ऑल टाइम हाई डिमांड शुक्रवार दोपहर 2.50 बजे तक 207111 मेगावॉट तक पहुंच गयी, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर है. बता दें कि कई राज्य इस समय बिजली संकट से जूझ रहे हैं. देश के 12 से ज्यादा राज्यों में बिजली की मांग ने अभी तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं.
The maximum All India
⚡⚡⚡⚡⚡demand met touched 207111 MW at 14:50hrs today, an all time high so far!@PIB_India @DDNewslive @airnewsalerts @MIB_India @mygovindia @OfficeOfRKSingh— Ministry of Power (@MinOfPower) April 29, 2022
पॉवर प्लांट्स में कोयले की कमी के बीच केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि देशभर के थर्मल प्लांट्स के पास 2.20 करोड़ टन कोयला है, जो 10 दिन के लिए काफी है. ऐसे में उन्हें पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करना चाहिए. CCL के मैनेजिंग डायरेक्टर पीएम प्रसाद ने बताया कि प्लांट्स को रोज 2.2 लाख टन कोयला दिया जायेगा.
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रूस यूक्रेन जंग के कारण कोयले के आयात पर असर
एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल में दिल्ली, UP समेत देश के कई बड़े राज्यों में भीषण गर्मी और लू के कारण बिजली की खपत बढ़ गयी है, लेकिन ज्यादातर पावर प्लांट्स को बिजली उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिल पा रहा है. बताया जा रहा है कि रूस यूक्रेन जंग के कारण कोयले केआयात पर असर पड़ा है जिससे कोयले कीमत में भारी इजाफा हुआ है. जिन राज्यों में बिजली संकट की सबसे ज्यादा समस्या है उनमें झारखंड, हरियाणा, बिहार, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं.
सालाना 200 मिलियन टन कोयला इंडोनेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया से आता है
जान लें कि देश में उत्पादन के अतिरिक्त सालाना 200 मिलियन टन कोयला इंडोनेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया से आता है. अक्टूबर 2021 से आयात कम होना शुरू हुआ और अब सप्लाई पूरी तरह प्रभावित है. ऐसे में निर्भरता कोल इंडिया पर है. SECL के बिलासपुर हेडक्वार्टर के अनुसार औसतन 2.50 लाख टन कोयला रोज उत्पादन होता है. अप्रैल के पहले सप्ताह में मांग 3.70 लाख टन से बढ़कर 28 अप्रैल को 4.63 लाख टन प्रतिदिन पर पहुंच गयी है. यह अब तक की सर्वाधिक है. खबरों के अनुसार कोयला संकट से निपटने के लिए 17 अप्रैल को कोल इंडिया के सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन ने कई बैठकें की थी.
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डिमांड को देखते हुए एक लाख वैगन देगा रेलवे
पावर प्लांट्स में कोयले की कमी के लिए रेलवे की ओर से रैक की कमी को जिम्मेदार करार दिया जा रहा है. यह देखते हुए रेलवे एक लाख वैगन उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है. सूत्रों के अनुसार डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर बनाया जा रहा है. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा है कि कोयला, रेलवे और ऊर्जा मंत्रालय के बीच तालमेल न होने से यह संकट पैदा हुआ. ताजा रिपोर्ट के अनुसार 147 नॉन पिटहेड प्लांट्स में कोयले का स्टॉक सामान्य स्तर से करीब 57,000 टन से 24% कम यानी करीब 14,000 टन है.
28 अप्रैल को कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने रांची में ECL, CCL और रेल मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. खबर है कि शुक्रवार को कोल इंडिया के चैयरमैन प्रमोद अग्रवाल बिलासपुर पहुंचे. SECR बिलासपुर के CPRO साकेत रंजन ने जानकारी दी कि पहले कोयले से भरी 110 गाड़ियां राज्यों को रवाना होती थीं, अभी संख्या 160 तक जा पहुंची है. रेलवे ने पावर प्लांट्स तक कोयले की तेजी से सप्लाई के लिए कुल 657 ट्रेन ट्रिप अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दी हैं, ताकि कोयला ले जा रही मालगाड़ियां समय पर निर्धारित स्टेशनों पर पहुंच सकें.