Sonia Jasmin
Ranchi: मधुबनी पेंटिंग विश्वविख्यात है. यह देश-विदेशों में सबसे लोकप्रिय कलाओं में से एक है. मिथिलांचल की महिलाएं प्राचीन काल से इस कला का उपयोग अपने घरों की दीवारों और दरवाजों को सजाने के लिए किया करती थीं. वक्त के साथ-साथ ये पेंटिंग्स कागज के अलावा परिधानों, बैग, थैला और मास्क जैसी चीजों पर भी उतरने लगी हैं. इस अद्भुत कला से माध्यम से प्रकृति प्रेम और पर्यावरण की रक्षा का संदेश दिया जाता है. मुख्य रूप से मधुबनी चित्रों में जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के अलावा हिंदू देवी-देवताओं को चित्रित किया जाता है.
महिलाओं ने इस कला को अपने जीवन-यापन करने का आधार बना लिया है. कलाकार शालिनी कर्ण रांची के मोरहाबादी में महिलाओं और बच्चों को मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण देती है. वह बताती हैं कि मधुबनी पेंटिंग प्राचीन काल से हमारे देश में संस्कृतिक और पारंपरिक विरासत के रुप में चलती आ रहा है. बिहार के साथ-साथ पूरे भारत में यह कला काफी मशहूर है.
विदेशों में भी है मधुबनी पेंटिंग की डिमांड
इसकी डिमांड विदेशों में भी है. यह कला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत नाम कमा चुकी है. मघुबनी पेंटिंग के लिए यू.एस.ए, जर्मनी, नेपाल से भी आर्डर आते हैं. उन्होंने बताया कि इस पेंटिंग में प्राकृतिक रंगों का भी प्रयोग किया जाता है. इसमें फूल से बने रंग, नील, काजल जैसी चीजों का अधिक उपयोग किया जाता है. मधुबनी पेंटिंग के एक्सपर्ट अक्षय जी बताते हैं कि उनकी टीम देश की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यह कार्य कर रही है. यह पेंटिंग प्लास्टिक की जगह सूती और जूट के थैलों पर की जाती है. इसकी खास बात यह है कि इसे किसी बड़ी फैक्ट्री में तैयार नहीं किया जाता बल्कि यह मिथिलांचल की महिलाओं के मेहनत और हुनर से बनाई जाती है.
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Madhubani Painting वाले Mask की डिमांड
मार्केट में मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क की डिमांड है. इसमें खास बात यह है कि मास्क के लिए खादी और सूती कपडों को इस्तेमाल किया जा रहा हैं. यह मास्क local market और online shopping sites में भी उपलब्ध है. पेंटिंग वाली थैली और बैग की स्टार्टिंग कीमत 100 से 250 रुपये है.
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