Ranchi:14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. रक्त का अब तक कोई विकल्प तैयार न हुआ है न फिलहाल हो सकता है. किसी मरीज के खून की आवश्यकता पूरी करने के लिए रक्तदान ही एकमात्र विकल्प है. झारखंड राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के द्वारा झारखंड के वीर शहीदों के जयंती पर विशेष रूप से राज्य भर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए 48 दिनों का एक कैलेंडर तैयार किया गया है. इस दौरान राज्य के युवाओं को रक्तदान के प्रति प्रेरित भी किया जाएगा. आज आड्रे हाउस में रक्तदान दिवस के मौके पर रक्तदान पर आयोजन भी किया जाएगा. जिसमे मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि होंगे. इस दौरान रक्त दाताओं को ऑनलाइन सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा साथ ही झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के यूट्यूब चैनल भी लांच किया जाएगा.
राज्य के ब्लड बैंक को किया जाएगा ऑनलाइन
राज्य के सभी ब्लड बैंक को ऑनलाइन किया जाएगा. ऑनलाइन हो जाने के बाद किसी भी मरीज को खून के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा यह वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध रहेगा कि किस ब्लड बैंक में किस ग्रुप के कितने ब्लड मौजूद हैं. बता दें कि तत्काल परिस्थिति में भी मरीजों के परिजन ब्लड के लिए एक ब्लड बैंक से दूसरे ब्लड बैंक भटकते रह जाते हैं और ब्लड नहीं मिल पाता.
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छह जिलों में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की होगी स्थापना
राज्य के 6 जिलों में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की स्थापना की जाएगी. रांची हजारीबाग गिरिडीह गुमला पलामू और जमशेदपुर के सदर अस्पताल में स्थापना के लिए शिलापट्ट का उदघाटन मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा. बता दें कि वर्तमान में राज्य के अधिकतर ब्लड बैंकों में सिर्फ खोल ब्लड ही मिल पाता है पीआरबीसी सहित अन्य जरूरी ब्लड कंपोनेंट के लिए रांची आना पड़ता है.
रिम्स के डॉक्टर चंद्रभूषण ने बताया कि अधिकांश मामलों में पूर्ण रक्त चढ़ाने की जरूरत नहीं होती बल्कि रक्त अव्यय (प्लेटलेट, आरबीसी, डब्ल्यूबीसी) चढ़ाने से ही मरीज ठीक हो जाते हैं. दुनिया भर में 90 प्रतिशत मामलों में रक्त के अव्यय का प्रयोग होता है जबकि हमारे देश में केवल 15 प्रतिशत मामलों में ही इनका प्रयोग होता है. 85 प्रतिशत मरीजों को पूर्ण रक्त चढ़ा दिया जाता है. कंपोनेंट्स सेपरेटर नहीं होने के कारण ऐसा होता है. अब विभिन्न सदर अस्पताल में लग जाने से मरीजों को लाभ मिल सकेगा.
स्वैच्छिक रक्तदान प्रोत्साहित करने की जरूरत : डॉ चंद्रभूषण
हर साल देश की कुल 2500 ब्लड बैंकों में 70 लाख यूनिट रक्त इकट्ठा होता है, जबकि 90 लाख यूनिट की जरूरत है. इसका भी केवल 20 प्रतिशत ही रक्त बफर स्टॉक में रखा जाता है और शेष का इस्तेमाल कर लिया जाता है.
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नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) की गाइडलाइंस के मुताबिक दान में मिले हुए रक्त का 25 प्रतिशत बफर स्टॉक में जमा किया जाना चाहिए, जिसे सिर्फ आपातस्थिति में ही इस्तेमाल किया जा सके. एक यूनिट रक्त 350 मिलीलीटर होता है.रक्तसंकट के मद्देनजर देश को एक रक्तदान क्रांति की सख्त जरूरत है.मरीज की जान बचाने के लिए रक्त चढ़ाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.
शरीर के बाहर रक्त किसी भी परिस्थिति में ‘पैदा’ नहीं किया जा सकता. जाहिर है, इसे केवल रक्तदान से हासिल किया जा सकता है. रक्तदान दो तरह का होता हैः एक, जिसमें मरीज को चढ़ाए गए रक्त की भरपाई उसके स्वस्थ परिजन से लेकर की जाती है तथा दूसरे, ‘स्वैच्छिक’ रक्तदान से. इसलिए स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की जरूरत है.
दूषित रक्त से एड्स का खतरा
स्वैच्छिक रक्तदान अब भी जीवनशैली का हिस्सा नहीं हो सका है. आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अस्पतालों के इमरजेंसी या ऑपरेशन थिएटरों में पड़े अपने रिश्तेदारों को रक्तदान करने के बजाए मुंहमांगी कीमत पर खून खरीद लेने की पेशकश करते हैं,ऐसे में पेशेवर रक्तदाता ‘रिश्तेदार’ बनकर सामने आते हैं और 47 प्रतिशत रक्त की जरूरत इन्हीं लोगों से पूरी होती है. ऐसे ‘स्वैच्छिक’ रक्तदाता के खून की गुणवत्ता तो निश्चित ही गिरी हुई होती है, साथ ही संक्रमित है या नहीं इसकी भी जांच नहीं हो पाती. आज देश में हजार में से तीन लोगों को दूषित रक्त चढ़ाने के कारण एचआईवी का संक्रमण होता है.