टेंशन में जीते हैं प्रति लाख आबादी में 4000 लोग
1.60 लाख लोग शराब पर हैं निर्भर
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सर्वे रिर्पोट में हुआ खुलासा
Ravi Bharti
Ranchi: झारखंड के लोगों में मानसिक बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं. झारखंड में राष्ट्रीय औसत से अधिक लोग मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं. मानसिक बीमारी के मामले में राष्ट्रीय औसत 10.6 फीसदी है, जबकि झारखंड में 11.1 फीसदी है. प्रति एक लाख की आबादी पर लगभग 4000 लोग टेंशन से ग्रसित हैं. मानसिक अवसाद से प्रति लाख आबादी में 3000 लोग ग्रसित हैं. इसका खुलासा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सर्वेक्षण में हुआ है.
बौद्धिक विकलांगता प्रति लाख में है 5000
झारखंड में बौद्धिक विकलांगता प्रति लाख की आबादी में 5000 है. वहीं शराब पर 1.60 लाख निर्भर हैं. 1.09 फीसदी लोगों की निर्भरता ओपिओइड पर है.
एक लाख की आबादी पर एक मनोचिकित्सक भी नहीं
झारखंड में एक लाख की आबादी पर एक मनोचिकित्सक भी नहीं है. राज्य में सिर्फ 90 मनोचिकित्सक हैं. जिससे राज्य के लोगों को मनोचिकित्सकीय सलाह समय पर नहीं मिल पाती है. हालांकि राज्य सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए 2.15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. वहीं प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित चिकित्सकों को मनोचिकित्सा का प्रशिक्षण देने के लिए सीआइपी के साथ समझौता हुआ है.
राज्य में है तीन मानसिक अस्पताल
झारखंड में सिर्फ तीन मानसिक अस्पताल हैं. जो अलग-अलग अधिकार क्षेत्र में चलते हैं. सामुदायिक देखभाल मॉडल अब तक प्रारंभिक अवस्था में है. जबकि राज्य-सहायता प्राप्त और केंद्र सरकार-सहायता प्राप्त अस्पताल दोनों अपने सामुदायिक विस्तार क्लीनिक चलाते हैं, उन्हें मानसिक अस्पताल के बुनियादी ढांचे के भीतर पर्याप्त रूप से एकीकृत नहीं किया जा सका है. उपचार के लिए पर्याप्त प्राथमिक और जिला-स्तरीय समर्थन की कमी अनावश्यक मानसिक अस्पताल में प्रवेश से बचने में एक बाधा बनी हुई है.