Girish Malviya
सरकार ने अडानी अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक और बड़ी योजना तैयार की है. जिसे नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन का नाम दिया गया है. नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत आठ मंत्रालयों की प्रॉपर्टी प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा की जा जाएगी. उन्हें निजी कंपनियों को किराए पर दे दिया जाएगा. अभी पहले चरण में इस योजना में सड़क, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, टेलीकॉम टावर, स्पोर्ट्स स्टेडियम और अन्य संपत्तियों को प्राइवेट कंपनियों को किराये पर दिया जा सकता है.
इसके लिए एमटीएनएल, बीएसएनएल और भारतनेट को चुना गया है. इसी तरह खेल मंत्रालय देश के स्पोर्ट्स स्टेडियम का मोनेटाइजेशन करना चाहता है. इस योजना को स्पोर्ट्स स्टेडियम की सहायता से समझा जा सकता है. कहा जा रहा है कि स्पोर्ट्स स्टेडियम में सिर्फ साल के 30/40 दिन खेल होता है. बाकी दिन यह खाली रहते हैं. ऐसे में इनको प्राइवेट कंपनियों को लीज पर दिया जाएगा. और इनसे स्टेडियम का ऑपरेशन और मेंटीनेंस का खर्च निकाला जाएगा. ऐसे ही रेलवे की खाली पड़ी जमीन या एयरपोर्ट की खाली पड़ी जमीन को लेकर व्यवस्था की जा रही है.
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन NMP में मोदी सरकार ब्राउनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट से पैसे जुटाने की कोशिश कर रही है. ब्राउनफील्ड परियोजना का मतलब किसी मौजूदा कारखाने या संयंत्र का विस्तार आदि कर क्षमता बढ़ाना होता है. यानी ब्राउनफील्ड बिल्कुल नई परियोजना नहीं होती. यह पहले से ही स्थापित किसी परियोजना का विस्तार या किसी पुरानी परियोजना को आगे बढ़ाने जैसा मामला होता है. यानी आपने किसी पुराने संयंत्र में एक नई प्रौद्योगिकी की मशीन लगा दी और उसके बदले आप उस संयंत्र का, उसकी जमीन का असीमित इस्तेमाल कर सकते हैं.
इसलिए यह उद्योगपतियों के लिए गोल्डन ऑपर्चुनिटी है. क्योंकि उन्हें संपति इस्तेमाल करने के लिए खरीदने की जरूरत भी नहीं है. उन्हें बस एक तय किराया देना है और फिर वह उस संपत्ति का जितना चाहे, मनचाहा इस्तेमाल कर सकते हैं.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.