Ranchi : रांची एनआईए की विशेष कोर्ट में मुकदमे का सामना कर रहे 108 अंडरट्रायल कैदियों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है, जिसमें एनआईए अदालत के न्यायाधीश एमके वर्मा पर अभियोजन पक्ष के ‘मुखपत्र’ होने की बात कही है. पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी दी गई है. बंदियों ने अपने पत्र में कहा है कि उनके मामलों की निष्पक्ष सुनवाई की जाए, क्योंकि उन्हें वर्तमान एनआईए विशेष न्यायाधीश अदालत से न्याय की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
इसे भी पढ़ें : उमेश पाल हत्याकांड में शामिल रहा अतीक का करीबी अरबाज मुठभेड़ में मारा गया
बंदियों ने गुहार लगाते हुए लिखा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिला हुआ है. निष्पक्ष सुनवाई का मतलब स्पष्ट रूप से एक निष्पक्ष न्यायाधीश, एक निष्पक्ष अभियोजक और न्यायिक शांति का माहौल होता है, लेकिन गवाहों को धमकाया जाता है और हमारे मामले में झूठी गवाही देने के लिए मजबूर किया जाता है. यहां तक कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज चश्मदीद गवाहों को भी पहले दर्ज किए गए उनके बयानों की एक प्रति दी जाती थी और वे एनआईए के विशेष पीपी की मदद से इसे लाइन से पढ़ते थे.
न्यायाधीश के खिलाफ पत्र में आगे लिखा है गया है कि हमारे माननीय एनआईए विशेष न्यायाधीश एक मुखपत्र बन गए हैं. कोर्ट का माहौल शत्रुतापूर्ण हो गया है. हमें ऐसा लगता है कि हम पहले ही दोषी साबित हो चुके हैं और केवल औपचारिकताएं चल रही है. कोई भी गवाह अपनी मुख्य परीक्षा में वास्तविक तथ्यों को सामने लाने की कोशिश करता है, उन्हें एनआईए के एक विशेष न्यायाधीश द्वारा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है. हमारे विशेष एनआईए न्यायाधीश अपना न्यायिक कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं. कैदी 17 मामलों से जुड़े हैं, जिनमें एनआईए की विशेष न्यायाधीश अदालत में सुनवाई चल रही है. उन्होंने पत्र में अपने मुकदमों की संख्या और हस्ताक्षर डाल दिए हैं. बंदियों ने जेल मैनुअल में दिए अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए बंदी पत्र लिखा है.
इसे भी पढ़ें : रामगढ़ विधानसभा उपचुनावः शाम 5 बजे तक 67.98 प्रतिशत वोटिंग