Lagatar Desk : सभी स्टेट बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के स्टूडेंट्स के लिए बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन मोड में ही आयोजित की जायेगी. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. ऑफलाइन एग्जाम के खिलाफ दायर की गई याचिका पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. एम. खानविल्कर की अगुवाई वाली खण्डपीठ सुनवाई हुई. यह याचिका देश भर के 15 राज्यों के छात्रों द्वारा दायर की गई है.
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सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं भ्रामक हैं और छात्रों को झूठी उम्मीद देती हैं.CBSE के 10वीं, 12वीं के इम्तिहान ऑनलाइन कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि पिछले साल की तरह ही परीक्षा कराने का आदेश दिया जाये.
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याचिका पर विचार करना मतलब कन्फ्यूजन करना
सुनवाई को दौरान जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विचार करने का मतलब है कि और ज्यादा कन्फ्यूजन करना. पहले ही याचिका के नाम पर ये अर्जी दाखिल कर छात्रों और अभिभावकों के बीच बहुत कन्फ्यूजन किया हुआ है. कोर्ट ने कहा कि आपको जो कहना है ऑथोरिटी को जाकर बताएं.
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कोर्ट ने कहा ऐसी याचिका दायर करने से बाज आये
कोर्ट ने कहा कि पिछले चार दिनों से आप ऐसी जनहित याचिका के जरिए न केवल कन्फ्यूज फैला है. और छात्रों में झूठी उम्मीद बढ़ी है. ये गैरजिम्मेदाराना ढंग से जनहित याचिका का दुरुपयोग है. लोग भी कैसी कैसी याचिका दाखिल कर देते हैं. वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज चली हैं, कोर्स पूरा नहीं हुआ, छात्रों को स्कूल में रेगुलर पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला है. कोर्ट ने कहा कि बोर्ड और परीक्षा से जुड़ी ऑथोरिटिज को भी सब पता है. हमारे दखल देने का कोई मतलब नहीं है. ये याचिका कतई उचित नहीं है. ऐसी याचिका दायर करने से बाज आये, नहीं तो हम आर्थिक दंड लगाना चाहते है, लेकिन अभी हम सिर्फ इसे खारिज कर रहे हैं.
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