Ranchi: देश में कहीं भी साइबर अपराध हो, तो उसके तार झारखंड से जुड़ते हुए जरूर पाए जाते हैं. साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए डीजीपी एमवी राव के निर्देश पर साइबर अपराधियों के खिलाफ झारखंड पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है. इस वर्ष जनवरी से लेकर अबतक पूरे झारखंड के अलग अलग जिले के 1428 साइबर अपराधी गिरफ्तार हुए हैं. बता दें कि साइबर सेल सीआईडी के अधीन काम करती है.
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डीजीपी के आदेश के बाद पर साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान
डीजीपी एमवी राव के आदेश के बाद से पूरे राज्य में साइबर अपराधियो के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है. बीते 24 सितंबर को डीजीपी एमवी राव ने कहा था कि साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इनकी संपत्ति को भी जब्त किया जाएगा. इतना ही नहीं, फर्जी पते पर सिमकार्ड बेचनेवालों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जायेगा. उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा को लेकर आम लोगों को भी जागरूक किया जायेगा. झारखंड में बढ़ते साइबर क्राइम व उसकी रोकथाम को लेकर वे सभी जिलों के एसपी, एसएसपी व डीआइजी के साथ समीक्षा बैठक की थी. डीजीपी ने बैठक के दौरान कहा था कि पुराने साइबर अपराधियों का पता लगाएं, जो जमानत पर बाहर हैं. उनकी गतिविधियों पर नजर रखें और संदिग्ध पाये जाने पर उनकी जमानत रद्द कराएं. उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम को लेकर मजबूत अनुसंधान के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा ट्रायल कराएं, ताकि ऐसे अपराधियों में भय हो.
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24 में से 22 जिलों में सक्रिय हैं साइबर अपराधी
झारखंड में साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. जामताड़ा साइबर अपराध के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. लेकिन इस बीच हैरत करने वाली एक और बात सामने आयी है. झारखंड के 24 में 22 जिलों में साइबर अपराधी सक्रिय हो गये हैं.
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150 से ज्यादा साइबर अपराध के गिरोह हैं सक्रिय
जानकारी के अनुसार, झारखंड में साइबर अपराध के 150 गिरोह सक्रिय हैं. इनमें से कई गिरोहों को झारखंड पुलिस ने चिन्हित किया हुआ है. हालांकि, झारखंड पुलिस के लिए ये गिरोह बड़ी चुनौती बनी हुई है. लेकिन पुलिस अब इनका सफाया करने के लिए सक्रिय दिख रही है. कई अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की भी तैयारी चल रही है. साइबर क्राइम के ज्यादातर मामले एटीएम से जुड़े होते हैं. अपराधी बूढ़े-बुजूर्ग या महिलाओं को ज्य़ादातर अपना शिकार बनाते हैं. ये लोग एटीएम के बाहर अकेले में लोगों को शिकार बनाते हैं. बैंक अधिकारी बनकर फर्जी तरीके से लोगों का बैंक खाता खाली कर देते हैं. साइबर अपराध के गिरोह में 20-30 वर्ष के बीच के अपराधी शामिल होते हैं. जो साइबर अपराध की घटना को अंजाम देते हैं.
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