Ranchi : जमीन की खरीद-बिक्री करने वाले लोग परेशान हैं. राज्य सरकार और जिला प्रशासन के निर्देश के बाद भी लोगों को लोक सेवा का अधिकार अधिनियम का लाभ नहीं मिल रहा है. लोग जमीन का म्यूटेशन कराने के लिए अंचल कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. राजधानी रांची के कांके, नगड़ी और नामकुम अंचल में सबसे अधिक म्यूटेशन के मामले लंबित हैं. पूरे जिले की बात करें तो 30 दिनों में 22 अंचल कार्यालयों में 16,474 म्यूटेशन के मामले लंबित हैं. अनगड़ा में 372, अरगोड़ा में 1812, इटकी में 168, ओरमांझी में 803, कांके में 3919, खलारी में 114, चान्हो में 405, तमाड़ में 143, नगड़ी में 1833, नामकुम में 2220, बड़गाई में 1101, बेड़ो में 222, बुढमू में 329, बुंडू में 172, मांडर में 358, रातू में 1492, राहे में 66, लापुंग में 21, रांची में 847, सिल्ली में 105, सोनाहातू में 22 और हेहल में 652 मामले लंबित हैं.
90 दिनों में करना है दाखिल-खारिज मामले का निबटारा
राज्य के कुछ अंचलों में ऑनलाइन म्यूटेशन सिस्टम 2014-15 से शुरू किया गया. इसके साथ ही इसे पूरे राज्य में लागू किया गया. प्रयोग के तौर पर झारखंड में सबसे पहले रांची जिले के इटकी अंचल से ऑनलाइन म्यूटेशन की शुरुआत 2013 में की गयी. दाखिल-खारिज के निबटारे का प्रावधान 90 दिनों में करने का है. अगर अंचलाधिकारी दाखिल-खारिज नहीं करते हैं, तो वे अपने से ऊपर के पदाधिकारियों को भेजेंगे. लेकिन विभाग के स्तर पर दाखिल-खारिज के लंबित मामलों के निष्पादन के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है.
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क्या है प्रावधान
सबसे पहले म्यूटेशन से संबंधित आवेदन अंचल ऑफिस में जमा करना होता है. अंचल की ओर से डाटा एंट्री के बाद टोकन जारी किया जाता है. फिर आवेदन संबंधित हल्का कर्मचारी के पास भेजा जाता है. हल्का ऑफिस में जमीन से संबंधित सारे दस्तावेज की जांच होती है. हल्का कर्मचारी की रिपोर्ट सीआई के पास भेजी जाती है. सीआई से होते हुए पेपर सीओ के पास आता है. सीओ के हस्ताक्षर के बाद करेक्शन स्लिप जारी किया जाता है.
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