Saurav Singh
Ranchi : सौ आरोपी भले ही छूट जाए, परंतु एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए, यह न्यायपालिका का एक स्थापित सिद्धांत है. लेकिन ऐसा लगता है कि न्यायिक प्रक्रिया का यह आदर्श वाक्य झारखंड पुलिस के लिए मखौल (उपहास) बनकर रह गया है. झारखंड पुलिस का फर्जीवाड़ा लगातार उजागर हो रहा है. राज्य में जहां एक तरफ पुलिस जनता की रक्षा करने की बात कहती है वहीं दूसरी ओर पुलिस कुछ मामले में अपनी झूठी वाहवाही लूटने के लिए साजिश कर निर्दोषों को जेल भेज रही है. राज्य में पुलिस के गलत अनुसंधान के कारण 21 लोगों को निर्दोष होकर भी जेल में रहना पड़ा. राज्य में इस तरह के कई मामले सामने आये हैं. जिस वजह से पुलिस अपनी ही कार्यप्रणाली को लेकर सवालों से घिर गयी है. जानिए ऐसे मामले जिनमें पुलिस ने साजिश कर 21 निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया था.
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पलामू पुलिस ने 7 बेकसूर को किया था गिरफ्तार
पलामू जिले की पुलिस ने सात बेकसूर लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. वो भी उस शख्स की हत्या के आरोप में जो जिंदा है. यह मामला जिले के सतबरवा थाना क्षेत्र का है यहां एक व्यक्ति ने खुद के अपहरण और हत्या की ऐसी साजिश रची कि इसके आरोप में पुलिस ने बेकसुर पत्नी समेत ससुराल के 7 लोगों को जेल में बंद कर दिया.
उग्रवादी समझकर किया गिरफ्तार, निकला निर्दोष
नौ फरवरी 2018 को पलामू पुलिस ने मुठभेड़ में शामिल होने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन चारों लोग सीआईडी जांच में निर्दोष पाये गये हैं. ठोस साक्ष्य नहीं मिलने पर इसकी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी गई है.
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पुलिस ने हथियार प्लांट कर झूठा केस बनाकर भेजा जेल
दो जून 2020 को रामगढ़ जिले के पतरातू पुलिस ने बालू कारोबारी राजेश राम को रांची के मोरहाबादी स्थित बोड़ेया रोड के एक फ्लैट से पकड़ा था. जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की तो पतरातू थाने के जेएसआइ मुराद हसन ने लिखवाया कि पतरातू के नलकारी पुल के पास वाहन चेकिंग के दौरान भाग रहे एक वाहन को पकड़ा गया. वाहन से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पूरे मामले की जांच करायी गयी. तो हथियार प्लांट कर झूठा केस बनाने और जेल भेजने के मामले में पतरातू थानेदार सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित हो गये थे.
बाजार में टहल रही युवती की हत्या के आरोप में पति जेल में
पलामू जिले के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र के तरीडीह गांव में नौ सितंबर 2021 को जिस खुशबुन निशा को मृत समझकर परिजनों ने दफना दिया था. वह बीते 12 सितंबर की रात छतरपुर बाजार में पुत्र के साथ टहलती मिली. वहीं खुशबुन की हत्या के आरोप में पुलिस ने उसके पति को जेल भेज दिया था. पुलिस की जांच पर तो यहां सवाल उठ ही रहे हैं, यह भी प्रश्न खड़ा हो गया है कि जिस महिला को खुशबुन समझ दफनाया गया, वह कौन थी. मसले को सुलझाने के लिए पुलिस ने कब्र से महिला का शव निकाल कर डीएनए जांच कराने का निर्णय लिया था.
मानव तस्करी के आरोप में 6 माह तक जेल में रही महिला
22 जून 2017 झारखंड रेल पुलिस ने अपनी जांच में जिस महिला को मानव तस्करी का दोषी पाया था. उस महिला को रेलवे न्यायालय ने क्लीन चिट दे दिया है. रेलवे न्यायालय ने यह पाया कि महिला पर लगाया गया मानव तस्करी का आरोप झूठा है. महिला सिमडेगा जिले की रहनेवाली है जिसका नाम जिलानी लुगुन है. जिलानी लुगुन मानव तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार की गयी थी. महिला को छह महीने तक जेल में रहना पड़ा था.
इंतजार अली को एक अधिकारी की प्रोन्नति के लिए फंसाया गया था
तकरीबन साढ़े छह साल पहले यानी बीते 20 अगस्त 2015 को रांची की हिंदपीढ़ी के चिकित्सक इंतजार अली को झूठे केस में फंसाया गया था. ये पूरी साजिश एक अधिकारी की प्रोन्नति के लिए रची गयी थी. इस राज का खुलासा गिरफ्तार दीपू खान ने किया. जो पुलिस का मुखबिर था.
निर्दोष होने के बाद भी पांच साल जेल में रहा जीतन मरांडी
26 अक्टूबर 2007 को गिरिडीह में हुए चिलखारी नरसंहार मामले में गिरिडीह पुलिस ने हार्डकोर नक्सली जीतन मरांडी के नाम पर भूलवश दूसरे जीतन मरांडी जो झारखंड एवेन के सचिव थे. पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. बाद में जब असली जीतन मरांडी पकड़ाया, तो उसे भी जेल भेज दिया गया.
शराब तस्करी के आरोप में 25 दिनों तक रखा था जेल में
रांची के तत्कालीन हटिया डीएसपी विनोद रवानी पर शराब माफिया के साथ मिलकर हटिया के रहने वाले दो निर्दोष व्यक्तियों को झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजने का आरोप है. मामला 31 सितंबर 2018 का है. इस बात का जब खुलासा हुआ तो आनन-फानन में जांच करवाकर दोनों निर्दोष युवकों को जेल से बाहर निकाला गया.
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