Ranchi : हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोशन लिमिटेड (एचईसी) में अफसर-कर्मचारी के आंदोलन के 25 दिन पूरे हो चुके हैं. इस दौरान कंपनी के एफएफपी, एचएमटीपी और एचमबीपी में उत्पादन ठप है. एचईसी के मुख्यालय में भी कामकाज नहीं हो रहा है. एचईसी बचाओ मजदूर जन संघर्ष समिति के बैनर तले निगम मुख्यालय के सामने कर्मचारी रोजाना धरना-प्रदर्शन कर अपने बकाया वेतन और ठेका श्रमिकों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल करने की बात कह रहे हैं. मगर मैनेजमेंट के आला अफसर कर्मचारियों की मांग पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं. पिछले दो दिनों में दोनों बार एचईसी बचाओ मजदूर जन संघर्ष समिति और प्रबंधन के बीच वार्ता विफल रही. मजदूर प्रतिनिधि लगातार अपनी मांगों को लेकर डटे रहे. प्रबंधन ने जल्द वेतन भुगतान और ठेका श्रमिकों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्युअल की बात कही. लेकिन मजदूर प्रतिनिधियों ने सभी बातों को लिखित में मांगा. जिसपर प्रबंधन ने लिखित में जवाब देने के पक्ष में हामी नहीं भरी. जिससे वार्ता विफल रही.
प्रबंधन के इस रवैये का भारी विरोध कामगारों ने किया और बिना लिखित का कुछ भी मानने से इंकार किया. उनका कहना था कि जब तक एचईसी को बचाने का रोडमैप नहीं तय होता है, काम और दाम दोनों निश्चित नहीं होता, और हर माह वेतन देने का लिखित आश्वासन प्रबंधन नहीं देगा, तब तक संघर्ष जारी रहेगा. प्रबंधन बार-बार आश्वसन देकर मुकर जाती है. प्रबंधन कार्यशील पूंजी लाने, कच्चा माल उपलब्ध कराने और काम लाने और कराने इन सब में अक्षम है. इन्हें हर माह भेल से एक तारीख को वेतन मिलता है. ये लोग सिर्फ दिन काटते हैं और जब से आए हैं, तबसे एचईसी का उत्पादन घटा ही है. हमलोग एचईसी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
एचईसी प्रबंधन कोरे आश्वासन नहीं, काम शुरू कराये : माकपा
माकपा राज्य सचिवमंडल एचईसी को बचाने के लिए वहां के मजदूरों व अधिकारियों द्वारा पिछले दो माह से जारी संयुक्त आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त करता है. पिछले 22 माह से मजदूरों को वेतन नहीं मिला है और उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. मजदूरों के पढने वाले बच्चों की फीस जमा नहीं होने से एचईसी की जमीन पर चल रहे निजी स्कूल उनका नाम काटे जाने की धमकी दे रहें हैं. बहुत प्रयास किए जाने के बाद उन्हें परीक्षा में शामिल होने की अनुमति स्कूल प्रबंधन द्वारा दी गई है. एचईसी के कामगार कारखाने में काम करने के लिए रोज वहां जा रहे हैं. प्रबंधन द्वारा कैंटीन बंद किए जाने के बाद मजदूरों द्वारा अन्य यूनियनों और उस क्षेत्र के नागरिकों के सहयोग से मजदूर कैंटीन चलायी जा रही है. इस बीच प्रबंधन और मजदूर यूनियनों के संयुक्त मोर्चा के बीच दो दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है. क्योंकि प्रबंधन इस बातचीत का न ही कोई अभिलेख बनाता है और न ही वहां काम कैसे शुरू हो इस पर भी कोई रोड मैप बताते हैं. केवल कोरे आश्वासन दिये जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार एचईसी के पास तत्काल 200 करोड़ और परियोजना के लिए 1200 करोड़ का कार्यादेश भी है, लेकिन इसे पूरा करने के लिए कच्चे माल की कमी है. यदि प्रबंधन गंभीर है तो उसे तुरंत कच्चे माल की आपूर्ति करना चाहिए, ताकि वहां काम शुरू हो सके साथ ही बकाए वेतन का भुगतान किए जाने की दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि एचईसी में उत्पादन शुरू हो सके. किंतु यह निर्णय भारी इंजीनियरिंग उद्योग मंत्रालय व एचईसी के मुख्य प्रबंध निदेशक को लेना है. सीपीआई (एम) का राज्य सचिवमंडल केंद्र सरकार व एचईसी प्रबंधन से मांग करती है कि बिना देर किए एचईसी में काम शुरू किया जाए, बकाये वेतन का भुगतान किया जाए, क्योंकि वहां के मजदूर व अधिकारी एचईसी में उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार हैं.
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