Ranchi : राज्य में 3 लाख 47 हजार लोग आंदोलन करने की तैयारी में है. ये लोग अपने विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे है. रांची और राज्य के अन्य जिलों में कुछ लोग सोशल मीडिया में आंदोलनरत है. ज्यादातर लोगों की मांग मानदेय, नौकरी या स्थीयकरण की है. जो अलग-अलग संघों और संगठनों से जुड़ें है. पूर्व सरकार के शासन काल में इन संगठनों का आंदोलन चरम पर रहा था. आंदोलन के कारण पूर्व सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा.
वर्तमान सरकार ने इन्ही मुद्दों के सहारे सत्ता हासिल किया है. जिसमें आंगनबाड़ी, रसोईया और पारा शिक्षकों के लिये घोषणा पत्र में वायदें शामिल है. पिछले साल ही इन संगठनों की ओर से आंदोलन की रणनीति बनायी जा रही है. लेकिन कोविड संक्रमण फैलने के कारण ये आंदोलन नहीं कर पाते है. लेकिन संक्रमण कम होते ही ये आंदोलन भी करते है. इस बार फिर से इन संगठनों की ओर से आंदोलन की रणनीति बनायी जा रही है. जिसका असर आने वाले समय में देखा जा सकता है.
इसे भी पढ़ें – राजखरसावां अस्पताल के धीमे निर्माण पर विधानसभा समिति ने जताई नाराजगी
चरणबद्ध आंदोलन को आतुर पारा शिक्षक
पारा शिक्षकों का आंदोलन पिछले कुछ सालों से राज्य की सत्ता में हावी रहा है. ये राजनीति का एक केंद्र भी बना हुआ है. सत्ता और विपक्ष दोनों के लिये ये मुद्दा काफी अहम है. साल 2017 से 2019 तक 65000 शिक्षकों का आंदोलन चरम में रहा है. तीन-तीन महीनों तक पारा शिक्षकों ने आंदोलन किया है. एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की ओर से फिर से आंदोलन की रणनीति बनायी जा रही है. 15 अगस्त से चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी है. इसके लिये 25 जुलाई को प्रदेश कमेटी और एक अगस्त को जिलों में बैठक होनी है. मोर्चा की मांग स्थायीकरण और वेतनमान है. हाई लेवल कमेटी ने मंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. मोर्चा के अध्यक्ष संजय दूबे ने बताया कि इस साल जनवरी में भी धरना प्रदर्शन किया गया था. विभाग सीएम के पास है तो इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
इसे भी पढ़ें – मानगो नगर निगम चुनाव : शांतिगनगर विकास समिति ने दी चुनाव बहिष्कार की धमकी
76 हजार आंगनबाड़ी कर्मियों ने रोका आंदोलन
इस साल के शुरूआत से आंगनबाड़ी कर्मी आंदोलन की राह पर है. मांग मानदेय वृद्धि या न्यूनतम वेतनमान की है. इसमें हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों की तरह वेतनमान निर्धारित करने की भी मांग है. राज्य में इनकी कुल आंगनबाड़ी कर्मियों की संख्या 76 हजार है. झारखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ओर से आगे की रणनीति बनायी जा रही है. संघ के सलाहकार प्रयाग प्रसाद ने बताया कि चार महीने का भुगतान सरकार करने वाली है. लेकिन अन्य मांगों में कोई विचार नहीं हुआ है. वर्तमान में सेविका को 6400 और सहायिका को मात्र 3200 मिलते है. वर्तमान सरकार के घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी कर्मियों का मानदेय दस हजार करने की बात की गयी थी. कोविड के कारण कर्मी विवश है. बीच में आंदोलन की रणनीति बनी, लेकिन प्रशासन से अनुमति नहीं मिली. लेकिन मोर्चा में आंदोलन पर लगातार चर्चा हो रही है.
इसे भी पढ़ें – पेगागस जासूसी मामला सुप्रीम कोर्ट में, कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की गुहार, पीएम मोदी और सीबीआई को पार्टी बनाने की मांग
पांच सौ के लिये पत्राचार कर रहीं रसोईया
रसोई कर्मी या मीड डे मील वर्कस भी समय-समय पर आंदोलन करती रहती है. इनकी कुल संख्या लगभग एक लाख 80 हजार है. वर्तमान सरकार ने इन्हें पांच सौ रूपये अतिरिक्त मानदेय देने की घोषाण पिछले साल की गई थी. एक साल होने को है लेकिन इन्हें पांच सौ अतिरिक्त भुगतान नहीं हुआ. इतना ही नहीं, इस साल जनवरी से इनका मानदेय रोक दिया गया है. जबकि सरकार इन्हें मात्र दस महीने का भुगतान करती है. झारखंड प्रदेश रसोईया, संयोजिका, अध्यक्ष संघ की उपाध्यक्ष अनिता देवी ने बताया कि इस साल विधानसभा सत्र के दौरान आंदोलन हुआ था. जून में मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया गया है. 27 जुलाई को प्रदेश कमेटी की बैठक है. जिसमें आंदोलन की रणनीति तैयार की जायेगी.
इसे भी पढ़ें – प. सिंहभूम में कोरोना मरीजों की संख्या शून्य, दो की कोविड अस्पताल से छुट्टी
परीक्षा पास कर मृत्युदंड मांगा पंचायत सचिवों ने
राज्य में 2017 में विज्ञापन निकलने के बाद, 2019 में पंचायत सचिवों की डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन पूरी हुई. लेकिन आज तक उम्मीदवारों की नियुक्ति नहीं हुई. तीन दिसंबर 2020 को हाईकोर्ट ने आठ सप्ताह में परिणाम जारी कर सरकार को निर्णय लेने का आदेश निकाला. इन सबके बावजूद, पांच हजार सफल उम्मीदवारों आंदोलरत है. पिछले साल ही पंचायत सचिवों का आंदोलन जारी है. इस साल तीन मई को राष्ट्रपति हमें बचा लीजिये कार्यक्रम चलाया गया. जिसमें नौकरी दी जायें या मृत्युदंड दी जायें. कि मांग की गयी. 11 अक्टूबर 2020 को भी एक महीने का अनशन किया गया. अब पंचायत सचिव पास उम्मीदवार बीतें शुक्रवार से ट्विटर पर अभियान शुरू किया है.
17 हजार 725 स्वयं सेवकों को प्रोत्साहन राशि भी नहीं
राज्य में 2017 से 18 के बीच 17, 725 पंचायत सचिवालय स्वयं सेवकों की बहाली की गयी. इनकी बहाली प्रोत्साहन राशि के तहत की गयी. जो अलग अलग योजना पूरी होने पर दी जाती है. साल 2018 में ही पूर्व सरकार ने इनका प्रोत्साहर राशि रोक दी. पिछले कुछ सालों में इनका आंदोलन समय-समय पर होता रहा है. पंचायत सचिवालय सेवक संघ के अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा कि आंदोलन की रणनीति लगातार बन रही है. कोविड के कारण इसे रोका जा रहा है. फिर भी सदस्य सोशल मीडिया में सक्रिय है. इस साल मार्च में सेवकों ने सभी विधायकों को ज्ञापन भी दिया. चंद्रदीप ने बताया कि आठ अगस्त को कई संगठनों का महाजुटान है. जिसके बाद अनिश्चितकालीन आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी.
इसे भी पढ़ें – रिम्स में इलाजरत महिला ने एक्सरे विभाग से लगाई छलांग, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती
बीआरपी सीआरपी कर्मी भी आंदोलन की तैयारी में
राज्य के बीआरपी सीआरपी कर्मी भी आंदोलन के मूड में है. राज्य में इनकी संख्या लगभग तीन हजार है. बीआरपी सीआरपी महासंघ की मानें तो सरकार ने 2020 से अनुश्रवण भत्ता और मोबाइल रिचार्ज राशि रोक दी है. जबकि कोविड काल मे सभी काम ऑनलाइन हो रहे है. ऐसे में कर्मियों के सामने परेशानी है. पिछले दिनों शिक्षा परियोजना ने 2021-22 का अनुश्रवण भत्ता दिया. लेकिन साल 2020-21 का भत्ता रोक दिया. इससे कर्मियों में असंतोष है. पिछले कुछ दिनों से संघ की ओर से शिक्षा परियोजना और विभाग में वार्ता की तैयारी चल रही है. संघ की मानें तो आंदोलन की तैयारी जारी है. जून में भी कर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया था.
इसे भी पढ़ें – जिले में 77 हजार पीएम किसान, लेकिन केसीसी के 69 हजार लाभुक : डीसी
14 वें वित्त के हटाये गए कर्मी कर्मी को भी जोड़ा जाए आंदोलन में।