Ranchi : कोरोना काल में कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया है. कई बच्चों ने तो अपने माता और पिता दोनों को खो दिया है. उस बच्चों की देखरेख के लिए सरकार कई तरह के काम कर रही है. जिसे उन बच्चों को सहारा मिल सके. और वो बच्चे अपने भविष्य को उज्जवल बना सके. लेकिन इस तरह के काम सिर्फ कागजों में ही देखने को मिलेगा. क्यों कि जमीनी हकीकत को कुछ और बंया कर रही है.
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कोरोना की वजह से 4 बच्चियों ने माता-पिता को खोया
एक मामला रांची के बुंडू प्रखंड एदेलहातु चायराम बस्ती की है. कोरोना काल के दौरान इन 4 बच्चियों की मां एतवारी देवी की मौत 30 अप्रैल 2020 को हो गयी. और फिर 9 महिने बाद पिता बलेश्वर अहिर भी बीमारी से लड़ते लड़ते चल बसे. अब इन चार बच्चियां अनाथ हो गयी. बड़ी बेटी रेणु कुमारी 16 वर्ष, रिना कुमारी 12 वर्ष, मीना कुमारी 8 वर्ष और सबसे छोटी मीरा कुमारी महज 5 साल की है.
रेणु कुमारी ने बताया कि अब उनका देखभाल करने के लिए कोई नहीं है. पिता सड़क किनारे चना बेचते थे उसी में वो भी कुछ दिन चना पकौड़ी बेच रही थी. लेकिन फिर से लॉकडाउन लग जाने के कारण वो काम भी बंद हो गया.
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8 जनवरी को विधायक और बीडीओ ने बच्चियों से की है मुलाकात
रेणु ने बताया कि 8 जनवरी को विधायक विकास मुंडा और बीडीओ, सीओ उनसे मिलने आये थे. विधायक ने 5 हजार और बीडीओ 5 हजार देकर कहा था कि हर महीने घर चलाने के लिए 1 हजार मिलेगा और कस्तूरबा में सभी बच्चियों का एडमिशन करा दिया जायेगा. लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक कुछ भी नहीं मिला. सरकारी पीडीएस दुकान से पहले से जो राशन कार्ड है उसी से चावल मिलता है. कपड़ा, सब्जी और अन्य जरूरत के लिये कुछ भी नहीं है.
रेणु कुमारी 10 वीं की पढ़ाई कर रही थी और छोटी बहनें भी पढ़ रही थी. माता- पिता के चले जाने के बाद पढ़ाई बंद हो गयी. परिजनों में एक मात्र बुढ़ी फुआ है जो कभी कभार इन लोगों का सुध लेने आ जाती है.
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समाजसेवी अपने स्तर से कर रहे मदद
समाजसेवी उमेश महतो और उनके कुछ मित्र मिल कर अपने स्तर से इन बच्चियों के लिए राशन के साथ- साथ दैनिक जरूरत के सामान पहुंचाते है. उमेश महतो ने कहा कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इन मासूमों के लिए ऐसी व्यवस्था करना चाहिए जिससे कि इन लोगों का पढ़ाई के साथ- साथ गुजारा भी चल सके.
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प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई योजना नहीं है
प्रखंड विकास पदाधिकारी से जब lagatar. In के संवाददाता ने बात किया तो उसने ऑन रिकॉर्ड कुछ भी कहने से इंकार करते हुए कहा कि उनके पास ऐसा कोई योजना नहीं है. जिससे इन लोगों का कुछ मदद कर सकें. अभी स्कूल बंद है विद्याल खुलते ही उनका नामांकन कराने का आश्वासन जरूर दिया. इसी तरह की तमाड़ के सलगाडीह में अनाथ बच्चियों को डालसा ने सहयोग किया है जिससे इन बच्चियों को भी उम्मीद जगी है कि अब इन्हें भी मदद मिलेगा.
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इन बच्चियों का एक आवेदन डालसा के नाम से बनवा दीजिये फिर हम कोसिस करते है कुछ करने का