- झारखंड राज्य बनने के बाद बिहार के हजारों युवक फर्जी आवासीय प्रमाण पत्र पर हो गए बहाल
- धनबाद, बोकारो, रांची, देवघर समेत अन्य कई जिलों के पता पर फर्जी दस्तावेज जालसाजों से बनाया
Dhanbad : झारखंड में धनबाद समेत 24 जिलों के विभिन्न प्रखंडों में फर्जी आवासीय प्रमाण पत्र पर बहाल गृहरक्षकों के खिलाफ पुलिस मुख्यालय से जांच शुरू हुई तो 532 होमगार्ड रहस्यमय ढंग से लापता हो गए. ड्यूटी से गायब रहनेवाले जवानों के खिलाफ होमगार्ड डीजी के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है. फिलहाल अभी तक पता नहीं चल पाया है कि जवान कहां हैं. हालांकि जांच टीम को अंदेशा है कि संभवत: पकड़े जाने के डर से फर्जी दस्तावेज पर बहाल होकर वर्षों से ड्यूटी करनेवाले जवान फरार हो गए हैं. जवानों का वास्तविक पता के बारे में पता लगाया जा रहा है कि वे बिहार के किस जिले व गांव के रहनेवाले हैं. विभागीय सूत्रों के अनुसार झारखंड राज्य बनने के बाद बिहार के हजारों युवकों ने फर्जी आवासीय प्रमाण पत्र, अंक प्रमाण पत्र पर बहाल हो गए. बहाल होनेवाले अधिकतर किराए के घर में रहते थे और उसी पता पर आवासीय प्रमाण पत्र बना लिया. जब होमगार्ड डीजी अनिल पाल्टा से शिकायत की गई कि धनबाद समेत राज्य के विभिन्न जिलों में होमगार्ड में बहाल अधिकतर गृहरक्षक फर्जी दस्तावेज पर ही नौकरी कर रहे हैं और हर महीने प्रत्येक जवान 15 हजार वेतन उठा रहे हैं.
गणेश शर्मा और उसके सिंडिकेट में शामिल युवकों ने बनवाया था फर्जी दस्तावेज
रांची के गणेश शर्मा ने ही कई लोगों को सिंडिकेट में शामिल कर फर्जी दस्तावेज बनवाया था. जिसमें कई लोग 2017 में पकड़े भी गए थे. अभ्यर्थियों ने पिछले बीस साल में धनबाद, बोकारो, रांची, देवघर समेत अन्य कई जिलों के पता पर फर्जी दस्तावेज जालसाजों से बनवाया था. हर अभ्यर्थी से हजार-दो हजार रुपये लेकर दस्तावेज बनाया गया था. जबकि नियमत: किराया के घर में रहनेवालों का आवासीय प्रमाण पत्र नहीं बनता है. जिसका स्थायी घर है, उसी का आवासीय प्रमाण पत्र उस जिले के संबंधित कार्यालय से बनता है. वर्तमान समय में धनबाद समेत 24 जिलों में 18728 होमगार्ड हैं. जिनका वेतन रोजाना 500 रुपये के हिसाब से 15000 रुपये मिलता है. जवान जितने दिन ड्यूटी करते हैं, उतने दिन का ही वेतन मिलता है. जांच टीम को पता चला है कि गणेश शर्मा गया जिला बिहार का रहनेवाला है.
बहाली के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले भौतिक सत्यापन का है नियम
जानकारों का कहना है कि गृह रक्षा वाहिनी में बहाली होने के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले होमगार्ड का भौतिक सत्यापन होता है. जो जवान जिला से बहाल होता है, वहां से दस्तावेजों की जांच संबंधित थाना से कराया जाता है. जबकि होमगार्ड कार्यालय व थाना से सेटिंग होने के कारण बैठे-बैठे जांच हो जाती है. इसके एवज में जवान 500 या 1000 रुपये दे देते हैं. विभाग की ओर से संबंधित क्षेत्र के थाना को कागजात की कॉपी के साथ सत्यापन के लिए पत्र लिखा जाता है. फिर थाना से पुलिस के कनीय पदाधिकारी उक्त पते पर जाकर आवासीय प्रमाण पत्र की जांच करते हैं. अभ्यर्थी का पता स्थायी है या फिर अस्थायी या फिर फर्जी है. जबकि विभाग की ओर से सत्यापन के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर दी जाती है.
धनबाद में 2017 में होमगार्ड बहाली में हुई गड़बड़ी
धनबाद में 2017 में होमगार्ड बहाली में गड़बड़ी हुई थी. तत्कालीन डीसी के निर्देश पर होमगार्ड कमांडेंट की लिखित शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर गजेंद्र गुप्ता और फोटोग्राफर अमरजीत कुमार के अलावा किसी पर कार्रवाई नहीं की गई थी. तत्कालीन होमगार्ड कमांडेंट तारकेश्वर राम ने 9 अक्टूबर 2021 को धनबाद थाना में लिखित शिकायत की थी. जिसमें कांड संख्या 428/21 में भादवि की धारा 406, 420, 467, 468, 34 के तहत कंप्यूटर ऑपरेटर व फोटोग्राफर पर मामला दर्ज किया गया. दोनों आरोपियों ने कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली और अभी तक प्राइवेट नौकरी कर भरण पोषण कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार बहाली के समय 2017 में अभ्यर्थियों और अभिभावकों की शिकायत और हंगामा के बाद अधिकारियों ने जालसाजी की जांच शुरू की. एसएसपी से लेकर एसपी, डीसी, एडीएम और रांची के कमांडेंट तक के अधिकारियों ने बारीकी से जांच की और धनबाद से लेकर रांची मुख्यालय तक बैठक हुई.
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