Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने 7 जून को छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने सरकार को 8 हफ्ते में नयी मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था. कोर्ट का फैसला आये 39 दिन हो चुके हैं, लेकिन अबतक जेपीएससी यह तय नहीं कर पाया है कि वह नयी मेरिट लिस्ट जारी करेगा या हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करेगा. वैसे अपील के लिए निर्धारित 30 दिन का समय गुजर चुका है. अब आयोग को अपील के लिए कोर्ट में लिमिटेशन पिटीशन दायर करनी पड़ेगी. इस मसले पर जेपीएससी के सचिव ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा है कि इस जेपीएससी इस मामले में क्या करेगा यह फैसला नहीं हुआ है. जब आयोग इसपर फैसला लेगा, तब सूचना दी जायेगी.
सफल और असफल दोनों अभ्यर्थी फंसे हैं असमंजस में
ऐसी हालत में छठी जेपीएससी के अभ्यर्थी परेशान हैं. हाईकोर्ट के फैसले के बाद रद्द हुई मेधा सूची में शामिल छात्र औऱ प्रस्तावित नयी मेधा सूची में शामिल होने की उम्मीद रखने वाले अभ्यर्थी असमंजस की स्थिति में हैं कि आखिर उनके भविष्य का क्या होगा. हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी में सफल हुए 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था और जेपीएससी के दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था. सफल अभ्यर्थियों को इस बात की चिंता है कि उनकी नौकरी बचेगी या नहीं.
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JPSC और सरकार मामले को लटकाना चाहती है – अभ्यर्थी
छठी जेपीएससी में शामिल अभ्यर्थी राजकुमार मिंज का कहना है कि जेपीएससी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. जेपीएससी और सरकार मामले को लटकाना चाहती है. हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद पांच हफ्ते बीत चुके हैं. अबतक जेपीएससी ने अपना रुख साफ नहीं किया है. हाईकोर्ट के सामने जो बातें आयीं, उनके आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है, लेकिन उस फैसले से कई विसंगतियां पैदा होंगी. हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिशिर तिग्गा समेत 4 अभ्यर्थियों ने अपील की है. जेपीएससी इन्हीं विसंगतियों का फायदा उठाने के लिए वेट एंड वाच की स्थिति में हैं.
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क्या है मामला
7 जून को झारखंड हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी परीक्षा के 21 अप्रैल 2020 को जारी अंतिम परिणाम को नियमों का पालन न करने के चलते रद्द कर दिया था. 8 सप्ताह के भीतर नियमों का पालन करते हुए नये परिणाम जारी करने के आदेश दिये हैं. गौरतलब है कि जेपीएससी ने राज्य के 326 प्रशासकीय पदों के लिए 2016 में विज्ञापन जारी किये थे और इसके लिए प्रारंभिक परीक्षा 18 दिसंबर 2016 को ली गयी थी. जेपीएससी ने इन पदों के लिए मुख्य परीक्षा 28 जनवरी 2019 से एक फरवरी 2019 तक आयोजित की. मुख्य परीक्षा के परिणाम 15 फरवरी 2020 को जारी किये गये. इसके बाद उसी वर्ष 24 फरवरी से परीक्षार्थियों के साक्षात्कार लिये गये और परीक्षाओं के अंतिम परिणाम 21 अप्रैल 2020 को जारी कर दिये गये.
इस परिणाम के आधार पर आयोग ने 29 मई 2020 को परीक्षार्थियों की नियुक्ति की भी अनुशंसा कर दी थी, लेकिन आयोग पर आरोप लगे कि उसने मुख्य परीक्षा के अंकों का योग करते हुए हिंदी/अंग्रेजी भाषा के लिए मुख्य परीक्षा में ली जाने वाली अर्हता परीक्षा के अंक भी जोड़ दिये जो नियमों का उल्लंघन था, क्योंकि विज्ञापन में ही साफ तौर पर लिखा गया था कि हिंदी/अंग्रेजी भाषा की परीक्षा सिर्फ अर्हता परीक्षा होगी जिसमें न्यूनतम अंक पाने पर ही उम्मीदवारों के मुख्य परीक्षा की मेरिट लिस्ट में स्थान दिया जाएगा.
न्यायमूर्ति द्विवेदी की एकल पीठ ने अपने आदेश में माना है कि प्रथम पेपर (हिंदी व अंग्रेजी) के अर्हतांक को मुख्य परीक्षा के कुल प्राप्तांक में जोड़ा जाना गलत है. इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों का पुनरीक्षित परिणाम जारी किया जाए, जिसमें भाषा के पेपर में प्राप्त अर्हतांक को कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जाए और सभी पेपर में वर्ग के अनुसार न्यूनतम अंक प्राप्त करने वाले को ही मेधा सूची में शामिल किया जाये.