- पंजाबी-हिंदू बिरादरी की ओर से लंका दहन का 74वां साल
- मुस्लिम भाई बनाते हैं रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला
- 1952 में पहली बार 10 फीट का रावण बनाकर दशहरा की हुई थी शुरूआत
Kaushal Anand
Ranchi: दो साल बाद फिर इस बार रांची के एतिहासिक मोरहाबादी मैदान में दशहरा मनाया जाएगा. इसकी तैयारी जोरों पर है. इस वर्ष रांची के मोरहाबादी मैदान में 74 वां दहशरा मनाएगा. हर वर्ष की तरह इस बार भी पंजाबी-हिंदू बिरादरी रावण दहन की तैयारी में जुटा है. विगत 25 साल से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को मुस्लिम कारीकर ही बनाते आ रहे हैं. गया निवासी मो. मुस्लिम के नेतृत्व में इन पुतलों को बनाया जाता है. कुल 17 कारीगर इसमें दिन रात काम करते हैं. जिसमें 12 मुस्लिम ही हैं. मो. वसीम अंसारी, मो. पप्पू खान, गोल्डन खान, मो. असगर समेत कई कारीगर पुतला निर्माण में शामिल हैं.
छऊ, पाइका नृत्य और आतिशबाजी होगा मुख्य आकर्षण
इस बार के रावण दहन कार्यक्रम में सिल्ली का पाइका, जमशेदपुर का छऊ नृत्य और शिवाकाशी कोलकाता का आतिशबाजी मुख्य आकर्षक रहेगा. पाइका, छऊ और आतिशबाजी की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति देने वालों को आयोजन समिति सम्मानित भी करेगा.
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सीएम हेमंत सोरेन होंगे मुख्य अतिथि
इस बार 74 वें साल के मौके पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले की ऊंचाई बढ़ायी जा रही है. रावण 70, कुंभकरण 65 और मेघनाथ की ऊंचाई 60 फीट होगी. इसके साथ ही इस बार लंका भी बनायी जाएगी. जो 30/30 फीट का होगा. रावण दहन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे. इसकी पुष्टि आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी अरूण चावला ने दी.
1952 में पहली बार हुआ था मोरहाबादी मैदान में रावण दहन
रांची के मोरहाबादी मैदान में पहली बार 1952 में रावण दहन हुआ था. 1952 में फिरोजपुर पंजाब के स्व. अमीर चंद फतीजा ने 10 फीट का पुतला बनाकर इसकी शुरूआत की थी. इसके बाद से लगातार मोहराबादी मैदान में रावण दहन किया जाता रहा है. केवल गत दो वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण इसका आयोजन नहीं हुआ.