NewDelhi : Pegasus Spyware एक कमर्शियल कंपनी है जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है. इसलिए सवाल उठता है कि भारतीय ऑपरेशन के लिए उन्हें किसने भुगतान किया. भारत सरकार ने अगर नहीं किया तो किसने किया? देश के लोगों को यह बताना मोदी सरकार का कर्तव्य है. पेगासस स्पाइवेयर मामले में जारी विवाद के बीच भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने यह कह कर मोदी सरकार पर हल्ला बोला है. कहा कि पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करनेवाली कंपनी को भारतीय ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किसने पैसे दिये?
It is quite clear that Pegasus Spyware is a commercial company which works on paid contracts. So the inevitable question arises on who paid them for the Indian "operation". If it is not Govt of India, then who? It is the Modi government's duty to tell the people of India
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 19, 2021
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अमित शाह संसद में बताये कि सरकार का इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं
इस संबंध में स्वामी ने मंगलवार को ट्वीट कर मोदी सरकार को घेरा. बता दें कि पेगासस स्पाइवेयर मामले में स्वामी लगातार केंद्र सरकार पर हल्ला बोल रहे हैं. इससे पूर्व सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा था कि गृह मंत्री अमित शाह को संसद में बताना चाहिए कि सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, जिसने हमारे फोन टेप किये हैं. नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आयेगी और हलाल के रास्ते भाजपा को नुकसान पहुंचायेगी.
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जासूसी मामले में पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग का खुलासा चिंताजनक
इधर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने दुनिया भर में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग को बेहद चिंताजन बताते हुए सोमवार को सरकारों से उनकी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने का आह्वान किया, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो. जान लें कि एक वैश्विक मीडिया संघ की जांच से सामने आया है कि इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की जा रही है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने बयान जारी कर कहा, विभिन्न देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग के बारे में खुलासे बेहद चिंताजनक हैं. सरकारें उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाये. जो मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हो.
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