Vinit Upadhyay
Ranchi : नववर्ष 2021 में कई प्रदेशों के प्रदेश अध्यक्ष बदले जा सकते हैं. उम्मीद है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा के बाद कई राज्यों में पार्टी नेतृत्व में फेरबदल होगा. इसमें झारखंड भी शामिल है. पार्टी के संविधान में एक व्यक्ति एक पद का प्रावधान है, लेकिन झारखंड में यह फॉर्मूला लागू नहीं है. झारखंड के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव फिलहाल राज्य की हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री भी हैं. इसलिए कयास लगाये जा रहे हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा के बाद झारखंड कांग्रेस की बागडोर रामेश्वर उरांव से लेकर किसी दूसरे नेता को दी जा सकती है.
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दीपिका पांडेय सिंह भी हैं रेस में
कांग्रेस नेतृत्व झारखंड की कमान किसी ऐसे नेता को दे सकता है, जो पूरी तरह संगठन पर फोकस करे. फिलहाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की रेस में जिन नेताओं का नाम तेज़ी से चल रहा है, उनमें महगामा की कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह, वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर, चाईबासा की सांसद गीता कोड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और राज्यसभा सांसद धीरज साहू शामिल हैं.
अगर बात करें दीपिका पांडेय सिंह की तो वे युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव भी रही हैं और राहुल गांधी की गुड बुक में हैं. दीपिका वर्तमान में महगामा से पार्टी विधायक हैं और उन्होंने हाल के दिनों में जुझारू महिला नेता के रूप में अपनी छवि तैयार की है.
राजेश ठाकुर वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और मीडिया प्रभारी हैं. ठाकुर प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के करीबी और विश्वसनीय माने जाते हैं. उन्हें संगठन चलाने का अनुभव है और मीडिया से अच्छे रिश्ते भी हैं.
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राज्यसभा सांसद धीरज साहू के नाम की भी चर्चा
रामेश्वर उरांव के बाद अगर किसी आदिवासी चेहरे को पार्टी की कमान दी जायेगी तो इस सूरत में चाईबासा सांसद गीता कोड़ा का नाम सबसे आगे है, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी होने के कारण उनकी दावेदारी थोड़ी कमजोर आंकी जा रही है.
राज्यसभा सांसद धीरज साहू के नाम की चर्चा भी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में की जा रही है. मूल रूप से लोहरदगा के रहनेवाले धीरज साहू का परिवार कट्टर कांग्रेसी रहा है और उनके बड़े भाई स्व. शिवप्रसाद साहू दो बार कांग्रेस के टिकट पर रांची से सांसद चुने गये थे.
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सुबोधकांत सहाय को लेकर भी लग रहे कयास
सुबोधकांत सहाय को लेकर कयास ये लगाये जा रहे हैं कि छात्र आंदोलन की उपज, केंद्रीय मंत्रिमंडल का अनुभव और पार्टी के कई अहम पदों पर अपनी उपयोगिता साबित करने की वजह से पार्टी उन्हें प्रदेश का नेतृत्व तो दे सकती है, लेकिन प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह से दूरी उनके लिए नेगेटिव फैक्टर साबित हो सकता है. इन सबके बीच यह तय माना जा रहा है कि वर्ष 2021 में झारखंड कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है, लेकिन उस नये अध्यक्ष के सामने प्रदेश कमेटी का गठन सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि पिछले करीब 4 वर्षों से झाखंड कांग्रेस बिना राज्य कमेटी के ही चल रही है.