राजनीतिक संपादक
Ranchi : राज्य में विधानसभा की दो सीटों दुमका और बेरमो के लिए हो रहे उपचुनाव के लिए कल वोट डाले जायेंगे. जिन दो सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, वे दोनों सत्तारूढ़ गंठबंधन के खाते में थीं. दुमका सीट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफे से रिक्त हुई है, वहीं बेरमो सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह के निधन से खाली हुई है. दुमका से गुरुजी यानी शिबू सोरेन के तीसरे पुत्र और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार हैं, वहीं बेरमो से स्व राजेंद्र सिंह के पुत्र कुमार जयमंगल कांग्रेस के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं. भाजपा इसे परिवारवाद बता कर हमलावर है, तो सत्तारूढ़ गंठबंधन अपने कार्यों खासतौर पर कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और अन्य कल्याणकारी कार्यों के बूते जीत के प्रति आश्वस्त है.
मतदान की पूर्वसंध्या पर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सरकार और प्रशासनिक मशीनरी पर निशाना साधा. मरांडी ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने को सत्ता पक्ष का मानसिक दिवालियापन करार दिया. चुनावी पूर्वसंध्या पर माहौल को गरमाने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे पर खनन और पथ निर्माण विभाग के अधिकारी और ठेकेदार चुनाव को प्रभावित करने में जुटे हैं. उनकी पार्टी ऐसे अफसरों की सूची बना रही है.
दरअसल भाजपा के नेता पूरे चुनाव प्रचार के दौरान साफ तौर पर यह संदेश देते नजर आये कि चुनावों के बाद राज्य में सत्तारूढ़ झामुमो नीत सरकार का पतन हो जायेगा. आज भी बाबूलाल मरांडी ने इस बात को दोहराया. क्या भाजपा सरकार गिराने की रणनीति पर काम कर रही है, इस सवाल का सीधा जवाब न देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे डूबते जहाज पर सवार लोग लाइफ जैकेट पहन कर कूदने लगते हैं, वैसी ही गति मौजूदा सरकार की होगी.
दरअसल भाजपा के नेता चाहते हैं कि मतदाताओं और प्रशासनिक महकमे में यह संदेश जाये कि चुनाव के बाद वर्तमान सरकार की स्थिरता को खतरा है ताकि इसका चुनावी लाभ उठाया जा सके. उपचुनावों के नतीजों को पूर्वानुमान लगाना वैसे भी कठिन होता है. दुमका में जहां झामुमो अपने परंपरागत वोटों के सहारे जीत के प्रति आश्वस्त है, तो भाजपा को भरोसा है कि स्थानीय होने का लाभ उनकी उम्मीदवार डॉ लुइस मरांडी को मिलेगा, वहीं बेरमो में जयमंगल को भाजपा विरोधी मतों के साथ सहानुभूति वोटों का भी भरोसा है. अब मतदाता किसके नाम पर मुहर लगाते हैं, यह तो कल की वोटिंग से ही तय होगा.