New Delhi : एक नयी तकनीक के साथ भारतीय रक्षा क्षेत्र और मजबूत हो गया है. भारतीय लड़ाकू विमानों को अब चीन और पाकिस्तान की सेना नहीं रोक पायेगी. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने रडार और मिसाइलों को चकमा देने वाली एक नयी तकनीक विकसित कर ली है, जिसे लड़ाकू विमानों का सबसे बड़ा रक्षा कवच माना जा रहा है. इस अत्याधुनिक चैफ तकनीक का विकास डीआरडीओ की जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला और पुणे की उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) ने मिलकर किया है.
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चैफ एक फाइबर होता है
चैफ एक फाइबर होता है जो बाल से भी पतला होता है. जिसकी मोटाई करीब करीब 25 माइक्रोन होती है. जानकारी के मुताबिक डीआरडीए ने करोड़ों फाइबर से 20 से 25 ग्राम का एक कार्टिलेज तैयार किया है. चैफ को विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है.जानकारी के अनुसार दुनिया में ब्रिटेन की तीन कम्पनियां ही इस समय चैफ तैयार कर रही है. डीआरडीए चैफ के निर्माण के लिये इस तकनीक को स्वदेशी कंपनियों को ट्रांसफर करेगा. अभी तक इस तकनीक के आयात में एयर फोर्स को सालाना सौ करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. अब न सिर्फ आधे दाम पर वायुसेना को यह तकनीक मिलेगी, बल्कि भारत मित्र देशों को इसे निर्यात करने पर भी विचार कर रहा है.