Ranchi : झारखंड के नगर निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की योजना पर 11 साल से काम चल रहा है, लेकिन अबतक एक भी प्लांट ने काम करना नहीं शुरू किया है. कैबिनेट ने कुल 33 प्लांट लगाने की स्वीकृति दी थी. इसके बाद 27 प्रोजेक्ट के लिए 525.42 करोड़ रुपये का बजट बना. नगर विकास विभाग का कहना है कि 25 शहरों ने काम तेजी से चल रहा है, जबकि हकीकत ये है कि अबतक सिर्फ दो ही प्लांट (गिरिडीह और देवघर) तैयार हुआ है. बाकी जगहों पर या तो डीपीआर नहीं बना, कही जमीन हस्तांतरण को लेकर पेंच फंस गया है, तो कहीं स्थानीय लोगों के विरोध के कारण काम बंद है.
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चास, फुसरो, मधुपुर का डीपीआर ही तैयार नहीं
चास, फुसरो और मधुपुर ने अबतक प्लांट लगाने के लिए डीपीआर बनाकर अप्रूवल नहीं लिया है. उधर धनबाद नगर निगम ने प्लांट के लिए जमीन तो चिन्हित कर ली है, लेकिन अबतक जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. वहीं जामताड़ा और सरायकेला में ग्रामीणों के विरोध के कारण प्लांट निर्माण का काम बंद है. गोड्डा, पाकुड़ और चिरकुंडा में भी प्लांट निर्माण शुरू होने के बाद बंद कर दिया गया. जामताड़ा और सरायकेला में काम शुरू होने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया था, जिसके बाद स्थानीय निकाय ने निर्माणकार्य बंद कर दिया था.
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कछुए की चाल से बन रहे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
उधर मिहिजाम और गढ़वा नगर पंचायत में प्लांट के लिए जमीन तो मिल गई, लेकिन अबतक चाहरदीवारी का काम पूरा नहीं हुआ है. साहेबगंज में प्लांट निर्माण के लिए जमीन और अन्य सुविधाएं मुहैया होने के बाद भी अबतक प्लांट निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ है. वहीं लातेहार में सीटीई के अभाव में प्लांट का काम अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है. इसी तरह खूंटी, सिमडेगा, झुमरीतिलैया, चाकुलिया और बुंडू के प्लांट का काफी धीमी गति से चल रहा है.
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