Ranchi: कोई भी सरकारी पदाधिकारी सामान्य तौर पर एक विभाग में 3 साल या 6 साल तक तैनात रहता है, लेकिन झारखंड में उद्योग विभाग के उप निदेशक राजेंद्र प्रसाद अपवाद हैं. वह 20 साल से उद्योग विभाग में ही तैनात हैं. 27 जनवरी, 2001 को उन्होंने झारखंड उद्योग निदेशालय में तकनीकी अधिकारी के रूप में प्रवेश किया और अब वहां वे उप निदेशक (एमओयू, खाद्य प्रसंस्करण और व्यापार मेला) के पद पर काम कर रहे हैं.
2001 से 2010 तक निदेशालय में तकनीकी अधिकारी थे प्रसाद
राजेंद्र प्रसाद 27 जनवरी 2001 से 7 अगस्त 2010 तक रांची निदेशालय में तकनीकी अधिकारी रहे. फिर 18 अगस्त 2010 से 7 जुलाई 2011 तक वे परियोजना प्रबंधक सह अतिरिक्त निदेशक (उद्योग) के पद पर उसी निदेशालय में रहे. इसके बाद 8 जुलाई, 2011 को, उन्हें परियोजना प्रबंधक बनाकर लोहरदगा में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन वे लगभग एक वर्ष (फरवरी 2012 से अप्रैल 2013) के ब्रेक के साथ 1 जुलाई 2014 तक निदेशालय में प्रतिनियुक्ति पर रहे. अवकाश अवधि के दौरान उन्होंने रियाडा में सहायक विकास अधिकारी के पद पर भी सेवा दी.
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कई अधिकारी आये और गये, लेकिन राजेंद्र प्रसाद नहीं हिले
2 जुलाई 2014 से 1 जनवरी 2016 तक वे फिर से निदेशालय में रहे. रांची के जिला उद्योग केंद्र में स्थानांतरण के बाद भी वे निदेशालय में प्रतिनियुक्ति पर रहे. आखिर में 3 अक्टूबर 2016 को वे प्रभारी उप निदेशक और अब उप निदेशक (एमओयू, खाद्य प्रसंस्करण और व्यापार मेला) बन गए हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रसाद एक कुशल कर्मचारी हैं. विभाग के अंदर उन्होंने तगड़ी पकड़ बना ली है. यही वजह है कि कई सरकारों के बदलने के बाद भी वे निदेशालय में ही जमे रहे.
निदेशालय के कर्मचारियों-अधिकारियों के चहेते हैं राजेंद्र
निदेशालय के एक कर्मचारी ने राजेंद्र प्रसाद की तारीफ करते हुए कहा कि वह बहुत कुशल हैं और सभी अधिकारी उन्हें निदेशालय में चाहते हैं. वह एक असाधारण शख्सियत हैं. कभी-कभी मैं सोचता हूं कि उसके बिना विभाग कैसे चलेगा. वह उद्योग निदेशालय में सचिन तेंदुलकर हैं. राजेंद्र प्रसाद की इस उपलब्धि पर जब lagatar.in ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में विभाग के वरिष्ठ अफसरों से पूछा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग उनकी उपलब्धि से ईर्ष्या करते हैं, इसलिए इस मामले में वरीय पदाधिकारियों से ही पूछा जाना चाहिए. हकीकत जानने के लिए जब उद्योग सचिव पूजा सिंघल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
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