Krishnan Iyer
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर गोदी मीडिया के फर्जी प्रचार को महत्व दिया. इससे बचिये. खुद के जीवन की बातों पर फोकस कीजिए. तब पता चलेगा आप कहां से कहां पहुंच गये. मोदी का एक ज्ञान था : मोदी की इकोनॉमिक्स “थाली की इकोनॉमिक्स” है.
अब आपकी थाली खाली है और बाजारों में आग लगी हुई है. तो आइये समझते हैं कि आपकी थाली को खाली कैसे किया गया?
1. पेट्रोल/डीज़ल/खाद/दवाई/मजदूरी/मालभाड़ा/गोडाउन भाड़ा सबकुछ बढ़ गया. इन सबका कारण है पेट्रोल/डीज़ल से सरकारी लूट.
2. फसलों का खेत से आपकी थाली तक के सफर की जो “डिस्ट्रीब्यूशन चेन” थी. उसे नोटबन्दी/GST/लॉकडाउन ने तोड़ दिया. ये चेन असंगठित क्षेत्र हुआ करता था. आज बेरोजगारी का मुख्य कारण इस चेन का टूटना है.
3. खेती की लागत के मुकाबले किसानों की आय घट गई. पर कॉरपोरेट ने इस मौके का फायदा उठाया और जबरदस्त स्टोरेज की. भावों/कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया.
4. उत्पादन कम नहीं हुआ पर कीमतों में जबरदस्त मैनीपुलेशन हुआ. जैसे, सरसों का कोई इम्पोर्ट नहीं होता पर फिर भी सरसों तेल 200₹ पार. (सरसों तेल का बड़ा हिस्सा असंगठित हुआ करता था, जैसे छोटी-छोटी तेल मिल)
5. दाल, ऑयल सीड्स और भी कुछ खाद्य वस्तुओं का इम्पोर्ट हुआ. जितना इम्पोर्ट हुआ उतने ही भाव बढ़ते गए. क्योंकि ये इम्पोर्ट कॉरपोरेट का था. ये सबसे बड़ा मैनीपुलेशन था. (पैकिंग वस्तुओं के भाव खुली वस्तुओं से काफी ज्यादा है)
6. नरेंद्र मोदी सरकार ने बाजारों को सम्पूर्ण रूप से नियंत्रण मुक्त कर दिया, जो एक अच्छा कदम था. पर नियंत्रणमुक्त करने का उद्देश्य था किसान-उपभोक्ता दोनों का बैलेंस करना. इस बैलेंस को मोदी सरकार ने खत्म कर उद्योगपतियों के हवाले कर दिया. (कृषि कानून)
7. UNO ने बताया है कि खाद्यानों की मूल्यवृद्धि वाले देशों में भारत पहले 50 देशों में है.
इस तरह मोदी की “थाली इकोनॉमिक्स” अब “जनता की जेब खाली स्कीम” बन चुकी है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.