Vinit Upadhyay
Ranchi : वन विभाग ने 72 वें वन महोत्सव के दौरान अनगड़ा प्रखंड स्थित गेतलसूद डैम के किनारे गांधीग्राम में वृक्षारोपण किया गया था, जो कुछ दिन बाद ही जलमग्न हो गया. जलमग्न होने से लगभग सभी पौधे मर गए. जिसके बाद पिछले दिनों झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद ने इस पुरे प्रकरण को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. मामला हाईकोर्ट की दहलीज़ तक पहुंचने के बाद वर्तमान महिलौंग रेंजर ने रूटीन वर्क बताते हुए डूबने से मर गए पौधे के स्थान पर दोबारा वृक्षारोपण करवा दिया, लेकिन एक बार फिर लगातार हो रही बारिश के कारण कुछ दिन बाद ही दोबारा वो नए पौधे भी जलमग्न हो गए हैं. जिन्हें विभाग ने लगवाया था.
10 किलोमीटर में लगाये गये थे 30 हजार पौधे
बता दें कि 72 वां वन महोत्सव का शुभारंभ गेतलसूद डैम के किनारे गांधीग्राम में वृक्षारोपण कर हुई थी. वन महोत्सव के दौरान एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्थानीय विधायक राजेश कच्छप सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए थे. उक्त क्षेत्र में 10 किलोमीटर के दायरे में कुल 30,000 पौधे लगाए गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो वृक्षारोपण के लिए चयनित स्थल डूब क्षेत्र में पड़ता है. प्रत्येक वर्ष यह क्षेत्र जलमग्न हो जाता है. ग्रामीणों द्वारा इस बात से वन विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया था. बावजूद इसके उस क्षेत्र को वृक्षारोपण हेतु तत्कालीन महिलौंग रेंजर राकेश कुमार सिंह द्वारा चयनित किया गया और तीसरी बार वृक्षारोपण क्षेत्र जलमग्न हो गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई होती है या नहीं.
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