Kiriburu : सारंडा में संचालित विकास योजनाओं के नाम पर लूट का सिलसिला जारी है. ठेकेदार यहां की योजनाओं को सरकार द्वारा तय मानक के बिल्कुल विपरीत जैसे-तैसे कार्य कर और उसे पूर्ण दिखा कर पैसे की निकासी कर चलते बन रहे हैं. वहीं इस योजना का पूरा लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता है, जिससे समस्या बनी ही रहती है. ऐसे ही भ्रष्टाचार का मामला सारंडा के किरीबुरु थाना अन्तर्गत कलैता से जम्बईबुरु तथा जम्बईबुरु से धर्नादिरी तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जुड़ी सड़क में प्रकाश में आया है. ग्रामीणों का आरोप है कि जिस सड़क निर्माण की अनुमति व एनओसी मिली है उस सड़क को पहले न बनाकर पहले से बनी करमपदा-थोलकोबाद मुख्य पीसीसी सड़क पर जुम्बईबुरु गांव के समीप लगभग 1700 मीटर पीसीसी सड़क जिसकी मोटाई लगभग दो-तीन इंच के बीच होगी ढाल दी गई है. ग्रामीण अब इस सड़क के निर्माण कार्य के पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के बाद ही सड़क निर्माण कराने देने की मांग कर रहे हैं.
दो टुकड़े में आठ किमी सड़क निर्माण का मिला है ठेका
उल्लेखनीय है कि मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत का मिर्चिगडा़, कलैता, जुम्बईबुरु होते धर्नादिरी गांव तक सड़क नहीं होने की वजह से उक्त गांव के लोग वर्षों से इस सड़क निर्माण की मांग करते रहे हैं. ग्रामीणों की निरंतर मांग के बाद जिला प्रशासन ने ग्रामीण विकास विभाग, कार्य प्रमंडल (चाईबासा) के माध्यम से पीएमजीएसवाई योजना के तहत कलैता से जुम्बईबुरु तक लगभग पांच किलोमीटर तथा जुम्बईबुरु से धर्नादिरी तक लगभग तीन किलोमीटर सड़क निर्माण तथा जुम्बईबुरु गांव के समीप कोयना नदी पर एक पुलिया और विभिन्न स्थानों पर ह्यूम पाईप का पुलिया निर्माण से जुड़ा ठेका रांची की कंपनी मेसर्स दिलीप कुमार को लगभग साढे़ तीन करोड़ रुपए की लागत से बनाने के लिये दिया था. कुछ माह पूर्व कलैता स्कूल के पास सांसद गीता कोडा़ एंव विधायक सोनाराम सिंकू ने इस सड़क का शिलान्यास ग्रामीणों की भारी मौजूदगी में किया था. उस समय ग्रामीण काफी खुश थे कि अब आठ किलोमीटर लंबी सड़क बन जाने से उक्त गांवों के अलावे अन्य गांवों का आवागमन आसान व किरीबुरु से गांवों की दूरी काफी कम हो जायेगी. कीचड़ में ग्रामीणों को नहीं चलना पडे़गा.
दो किमी की सड़क सेल लीज में आने से फंसा पेच
शिलान्यास के बाद बड़ा पेंच यह फंसा कि कलैता से जुम्बईबुरु के बीच पांच किलोमीटर लंबी सड़क में से लगभग दो किलोमीटर सड़क सेल की लीज क्षेत्र में आता है. इस वजह से सेल ने इसका निर्माण का विरोध किया जिस कारण वन विभाग ने सेल वाले हिस्से को छोड़ बाकी हिस्से में सड़क बनाने के लिए एनओसी विभाग को दे दी.
ग्रामीण कर रहे निर्माण की निष्पक्ष जांच की मांग
कलैता निवासी लखन हेस्सा, विष्णु पूर्ति, कृष्णा होनहागा आदि ने बताया कि कलैता से जुम्बईबुरु तक लगभग पांच किलोमीटर लंबी सड़क अगर पूरी नहीं बनी तो इससे कलैता समेत उक्त गांव के लोगों को कोई लाभ नहीं होगा और समस्या पहले जैसी ही बनी रहेगी. कारण की सेल का लीज क्षेत्र होते हुए भी बाकी गांव के लोग इस सड़क से आना-जाना करते हैं. दूसरी बात यह है कि बाकी हिस्से में जो सड़क उक्त ठेकेदार बना रहा है जिसमें सड़क निर्माण संबंधित गाडे़ गये बोर्ड में प्राक्कलन राशि, सड़क की गुणवत्ता, मजदूरी आदि संबंधित कोई उल्लेख नहीं किया गया है. सड़क की निविदा व एनओसी कलैता से जुम्बईबुरु होते धर्नादिरी तक है फिर इससे अलग दूसरी करमपदा-थोलकोबाद पीसीसी सड़क पर 1700 मीटर दुबारा तीन इंच पीसीसी सड़क क्यों ढाला गया. ग्रामीण मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दिया जा रहा है. अर्थात जुम्बईबुरु के मजदूर चरण होनहागा के अनुसार उसे 250 रुपए मजदूरी दी जा रही है. पूरे मामले में भारी भ्रष्टाचार बरता जा रहा है, जिसकी निष्पक्ष जांच हो और गुणवतापूर्ण सड़क बने तो हमारी समस्याओं का स्थायी समाधान हो. हम ग्रामीण ठेकेदार को पूरा सहयोग देंगे लेकिन गुणवत्ता व भ्रष्टाचार के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे क्योंकि पहली बार पक्की सड़क बनाने का आदेश लंबे आंदोलन के बाद हुआ है.
दुबारा पीसीसी बनाने का एनओसी नहीं दिया: डीएफओ
सारंडा डीएफओ चन्द्रमौली प्रसाद सिन्हा ने लगातार न्यूज को बताया की हमने सेल की लीज क्षेत्र वाले हिस्से को छोड़ कलैता से जुम्बईबुरु तथा जुम्बईबुरु से धर्नादिरी तक सड़क निर्माण हेतु एनओसी दिया है. करमपदा से थोलकोबाद मुख्य सड़क के बीच पीसीसी सड़क पर दुबारा पीसीसी सड़क बनाने हेतु एनओसी नहीं दिया गया है और इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है.
मजदूरी शून्य दें या दो हजार यह हमारा मामला: ठेका कंपनी
ठेका कंपनी मेसर्स दिलीप कुमार के पदाधिकारी तारा शंकर से जब लगातार न्यूज ने सम्पर्क किया तो उन्होंने इस सड़क के बारे में कोई भी जानकारी देने से इन्कार किया और कहा कि आप विभागीय पदाधिकारी से जानकारी लें. उन्होंने कहा कि उक्त कार्य जॉब का फाइनल रिवाइज नहीं हुआ है जिस कारण बोर्ड पर कोई जानकारी अंकित नहीं की गई है. पहले बिडिंग के बाद रोड की लंबाई आदि घट-बढ़ रही है, जिससे फाइनल रिवाइज होना बाकी है. न्यूनतम मजदूरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार का मजदूरी दर को लेकर कोई सर्कुलर नहीं है. कार्य क्षेत्र के मजदूरों की स्थिति अनुसार हम मजदूरी देते हैं. गांव से फ्री में मजदूर लाकर काम करायें या उसे दो हजार दें यह हमारा मामला है. दोनों सड़क का निर्माण हम वर्षा की वजह से नहीं कर पा रहे हैं. हमें जितना क्लियरेंस मिला था उतनी पीसीसी सड़क बनायी है. उन्होंने कहा कि उक्त पुरानी पीसीसी सड़क पर 200 से 250 एमएम (आठ से दस इंच) ढलाई की गई है जो वन विभाग की अनुमति से हुई है. जबकि सच्चाई यह है कि तीन ईंच से अधिक ढलाई नहीं हुआ है.