Ranchi : रिम्स की 52वीं शासी परिषद की बैठक में चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने को लेकर डिटेक्टिव एजेंसी के चयन पर मुहर लगी है. झासा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डॉक्टरों पर जासूसी कराना कोरोना काल में निस्वार्थ भाव से सेवा देने वाले डॉक्टरों की घोर बेइज्जती है. ऐसा पूरे देश में कहीं नहीं होता. वहीं, टीचर्स एसोसिएशन के डॉ प्रभात ने कहा कि रिम्स में शिक्षक अपनी पूरी तन्मयता के साथ सेवा देते हैं. इसके बाद भी इस तरह की बात आना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस पर आईएमए और झासा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. डॉ प्रभात ने कहा कि इससे डॉक्टरों का मनोबल टूटेगा. प्रबंधन ने अपने लोगों पर बाहर के जासूस को लगाने का जो निर्णय लिया है, इससे हम सभी चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर बुरा असर पड़ेगा.
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टीचर एसोसिएशन जीबी के इस फैसले को मानता है दुर्भाग्यपूर्ण : डॉ प्रभात कुमार
डॉ प्रभात ने कहा कि बाहर के जासूस कितनी निष्पक्षता से निगरानी करेंगे ये सबसे बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि हम सभी रिम्स में सेवा देते है. यदि किसी व्यक्ति को बाहर में इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ेगी तो क्या चिकित्सकों का यह कर्तव्य नहीं है कि हम उनका इलाज करें. रिम्स प्रबंधन को यह देखना चाहिए था कि रिम्स के डॉक्टर समय पर ड्यूटी निभा रहे हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि टीचर एसोसिएशन इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण मानता है.
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डिटेक्टिव एजेंसी से डॉक्टरों की निगरानी का विरोध करता है झासा: डॉ विमलेश
वहीं, झारखंड हेल्थ एसोसिएशन(झासा) के राज्य सचिव डॉ विमलेश कुमार ने कहा कि पूरे चिकित्सक समाज ने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की जान बचायी है. लेकिन डिटेक्टिव एजेंसी को निगरानी में लगाना चिकित्सकों की घोर बेइज्जती है. सरकार के इस निर्णय का झासा विरोध करता है.
डिटेक्टिव एजेंसी से निगरानी कर्तव्य को पहुंचाता है चोट
वहीं, आईएमए रांची के प्रेसिडेंट डॉ शंभू प्रसाद ने कहा कि रिम्स के चिकित्सक सीमित संसाधनों में मरीजों का इलाज करते हैं. ऐसे में उन पर डिटेक्टिव एजेंसी के जरिये जासूसी कराना उनके कर्तव्य को चोट पहुंचाएगा.