Koderma : कोड़रमा में शौचालयों की स्थिति अच्छी नहीं है. यहां अब भी खुले में शौच जाने वालों की संख्या काफी है. आश्चर्य की बात यह है कि कागज पर जो दिखता है या फिर जो कहा या सुनी जाती है, हकीकत उससे परे है.
कागज और धरातल पर दिखता है फर्क
गौर करने वाली बात यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में झुमरीतिलैया नगर परिषद का बेहतर प्रदर्शन बताया गया है. राज्य भर में अपने वर्ग में झुमरीतिलैया नगर परिषद को पूर्वी जोन में प्रथम स्थान मिला. एक लाख 10 लाख की आबादी वाले कैटेगरी में 14 यूएलबी (अर्बन लोकल बाडी) में झुमरीतिलैया को 2692 अंक प्राप्त कर पहला स्थान मिला. उसे कुल 6 हजार में 2692 अंक प्राप्त हुए. स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान सिटीजन वाइज 1800, सर्टिफिकेशन में 1800 और सर्विस लेबर प्रोग्रेस में 2400 अंक लेकर मूल्याकंन किया गया था. देश भर में 372 यूएलबी के बीच स्वच्छता सर्वेक्षण की प्रतियोगिता में पूर्वी जोन में झुमरीतिलैया नगर पर्षद को 12वां रैंक प्राप्त हुआ है. 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में झुमरीतिलैया नगर पर्षद को 45वां स्थान मिला था, जबकि 2020 में 167वां तथा 2021 में 12वां स्थान प्राप्त हुआ है. शायद ये सारे कागजी हैं. यही वजह है कि झुमरीतिलैया वैसी नहीं दिखती जैसा कि ऊपर स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम में कहा गया है. आइये अब इसकी वास्तविक स्थिति जानते हैं.
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ढाई-तीन वर्षों में बेकार हो गए 90 प्रतिशत से अधिक शौचालय
करोड़ों की लागत से बने 90 प्रतिशत से अधिक शौचालय महज ढाई-तीन वर्षों में बेकार हो गए हैं. कुछ तो महज केवल ठेकेदारी के उद्देश्य से बनाए गए हैं. उद्घाटन के वक्त से ही इसमें पानी की व्यवस्था नहीं है. अब तो यह उपयोग के लायक भी नहीं है.
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बिजली-पानी विहीन शौचालय
ओडीएफ जिला घोषित कर कोडरमा जिला प्रशासन अपनी पीठ थपथपा रहा है. इसके बाद भी लोग खुले में शौच करते दिख जाते हैं. अब बात करते हैं शहरी क्षेत्र के शौचालयों की. मॉड्यूलर शौचालय की परिकल्पना को साकार करते हुए नगर पर्षद क्षेत्र में लगभग 2 दर्जन शौचालय जहां-तहां बनाए गए. शौचालयों में पानी और बिजली कनेक्शन न होने की वजह से ये अनुपयोगी हो चुके हैं. कई में गंदगी का अंबार भी है. सप्ताह में दो से तीन दिन ही इन शौचालय में सफाई होती है. स्थिति यह है कि सभी शौचालय में 200 लीटर की टंकी भी लगी है, लेकिन पानी की व्यवस्था भी नहीं है. ब्लॉक रोड स्थित शौचालय में 10 दिनों से गेट भी टूटा हुआ है. यहां रहने वाले शंकर राम ने बताया कि नगर पर्षद को इसकी सूचना दी गयी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. वहीं कोडरमा स्टेशन में 3 शौचालय की स्थिति भी यही है. यहां पानी का कोई साधन नहीं है. इसके अलावा अन्य स्थालों के मॉड्यूलअर शौचालय के हाल भी इसी प्रकार के हैं. दरअसल स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो वर्ष पहले नगर पर्षद में मॉड्यूलर शौचालयों का निर्माण किया गया. पानी का कनेक्शन दिए बिना ही शौचालय बना दिए गए. कई शौचालयों से सेप्टिक पेन से लेकर पानी टंकी तक गायब हो चुकी है.
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बाजार समिति में बने शौचालय में लटका है ताला
झुमरीतिलैया के बाजार समिति में सुलभ इन्टरनेशनल सोशल सर्विस आर्गेनाइजेशन के द्वारा बनाए गए स्नानघर एवं शौचालय के मुख्य द्वारा पर ताला लटका है. यहां प्रतिदिन 100-150 चालक, उपचालक के साथ यहां कार्य करने वाले मजदूर को भी परेशानी होती है. ये लोगों बाजार समिति के पीछे और रेल ट्रेक के ईद-गिर्द लोटा लेकर शौचालय जाते हैं. इसी तरह झरनाकुंड बिरहोर बस्ती व अन्य जगह करीब 25-25 लाख की लागत से बने सार्वजनिक शौचालय भी बेकार हो चुके हैं. अधिकतर में मोटर खराब है और पानी की समस्या है.