Ranchi: जेनेटिक गड़बड़ी के चलते बीमार लोगों के रक्त में फैक्टर की कमी होती है. जिसकी वजह से हीमोफीलिया के मरीज को जब चोट लगती है तो उस स्थिति में रक्त स्राव नहीं रुकता. कई बार यह इंटरनल होता है और स्थिति घातक हो जाती है. ऐसे में रक्तस्राव रोकने के लिए फैक्टर चढ़ाया जाता है. जिससे मरीज की स्थिति को काबू में किया जा सके और उसकी जान भी बचायी जा सके. झारखंड में हीमोफीलिया ग्रसित मरीजों को राहत मिलेगी. यहां हर जिले में डे केयर सेंटर खोलने की तैयारी है.
राज्य के हर जिले में खुलेंगे डे केयर सेंटर
हीमोफीलिया सोसाइटी ऑफ इंडिया के झारखंड चैप्टर के सचिव जो खुद भी हीमोफीलिया के मरीज हैं कहते हैं कि अभी राज्य के 03 मेडिकल कॉलेज के अलावा सदर अस्पताल रांची, कोडरमा, गिरिडीह, दुमका और डालटनगंज में डे केयर सेंटर चल रहा है. अब फैसला यह हुआ है कि सभी जिलों के सदर अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीजों के लिए डे केयर सेंटर खोला जाएगा. जहां थैलिसीमिया और सिकल सेल एनीमिया के मरीजों का भी इलाज होगा.
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राज्य में 3500 से 7500 के करीब हीमोफीलिया के मरीज
हीमोफीलिया सोसाइटी ऑफ इंडिया के झारखंड चैप्टर के सचिव संतोष जायसवाल ने कहा कि वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया के अनुसार हर 05 हजार में 01 मरीज इस बीमारी के होते हैं. वहीं भारत सरकार के अनुसार, इसकी संख्या हर दस हजार की आबादी में 01 की होती है. ऐसे में झारखंड की जनसंख्या के अनुसार 3500 से 7500 के करीब मरीज राज्य में होंगे पर अभी तक झारखंड में सिर्फ 650 मरीजों की ही पहचान हो सकी है.