NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि अयोग्य घोषित विधायक को विधान परिषद में मनोनीत कर मंत्री नहीं बनाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर विधायक अयोग्य घोषित हुआ है तो वह मंत्री तभी बन सकता है, जब फिर से विधानसभा या विधान परिषद का चुनाव जीतकर आये, न कि मनोनीत होकर.
इसे भी पढ़ें : किसान आंदोलन : राजदीप सरदेसाई, शशि थरूर, मृणाल पांडेय सहित कई पत्रकारों पर राजद्रोह का केस दर्ज होने की खबर
यदि आप मनोनीत हैं, तो आप मंत्री नहीं बन सकते
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य ठहराये गये भाजपा नेता एएच विश्वनाथ की हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी. सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने कहा, अगर आप एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते हैं, तो आप सरकार में मंत्री बन सकते हैं, लेकिन यदि आप मनोनीत हैं, तो आप मंत्री नहीं बन सकते. सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को सही करार दिया. कहा कि हम आपकी विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ें : राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे कांग्रेस समेत 16 दल, गुलाम नबी आजाद ने बताया कारण
अयोग्य ठहराये गये भाजपा नेता की दलील सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
जान लें कि भाजपा नेता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि यह मुद्दा संविधान के प्रावधानों की कानूनी व्याख्या से संबंधित है, जो सदन के सदस्य के अयोग्य होने से संबंधित है. उन्होंने कहा कि उनकी अयोग्यता उसी ऑफिस (विधानसभा) की क्षमता तक सीमित है जहां से उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था.
इस पर बेंच ने कहा कि प्रावधान के अनुसार यदि व्यक्ति विधान परिषद के लिए मनोनीत किया जाता है और चुना नहीं जाता है तो अयोग्यता प्रभावी रहेगी. बेंच का कहना था कि अगर आप एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते हैं, तो आप सरकार में मंत्री बन सकते हैं, लेकिन यदि आप मनोनीत हैं तो आप मंत्री नहीं बन सकते.
सूत्रों के अनुसार कर्नाटक में कथित सीडी को लेकर परेशान मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा कैबिनेट में फेरबदल दबाव में कर रहे हैं, इसी चक्कर में विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिये गये एएच विश्वनाथ को आनन-फानन में विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाने की कोशिश की गयी. लेकिन पहले हाई कोर्ट ने और अब सुप्रीम कोर्ट ने उनके इरादे पर पानी डाल दिया.
पांच राज्य ऐसे हैं जहां विधानसभा और विधान परिषद, दो सदन हैं
भारत में अभी 28 राज्य एवं आठ केंद्रशासित प्रदेश हैं. इन 28 राज्यों में पांच राज्य ऐसे हैं जहां विधानसभा और विधान परिषद, दो सदन हैं. ये राज्य हैं कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना. 5 अगस्त, 2019 से पहले तक जम्मू-कश्मीर में भी द्विसदनीय व्यवस्था थी, लेकिन अब यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बंट गया और दोनों को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है.