Ranchi: हेहल अंचल के खाता नंबर 119 के मामले में एक से बढ़कर एक कारनामा हुआ है. जमीन माफियाओं ने जमीन पर कब्जा करने में कमिश्नर कार्यालय को भी मैनेज किया. 19 नवंबर को तत्कालीन कमिश्नर ने डीसी के फैसले को खारिज कर फिर से दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुनाने को कहा. लेकिन यह रिपोर्ट डीसी कार्यालय पहुंची ही नहीं.
लगातार की पड़ताल में यह बात सामने आयी कि यह रिपोर्ट डीसी रांची के पास पहुंचने की बजाय सीओ और रजिस्ट्रार तक पहुंचा दिया गया. सीओ और रजिस्ट्रार ने इसी रिपोर्ट को आधार बनाते हुए धारा 144 लगने के बावजूद रजिस्ट्री और म्यूटेशन कर दिया. ऐसे में जब डीसी के पास रिपोर्ट पहुंची ही नहीं, तो डीसी कैसे सुनवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते.
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दूसरे पक्ष ने भी नहीं की डीसी के यहां अपील
दूसरा पक्ष यानी दशरथ साहू और गणेश साहू का दावा है कि कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुनवाई डीसी रांची ने नहीं की. लेकिन इनकी तरफ से कमिश्नर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए कभी भी डीसी के यहां अपील नहीं की गयी. खबर लिखे जाने तक भी डीसी के यहां किसी तरह की कोई अपील दाखिल नहीं की गयी है. इस बीच जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन होना शुरू हो गया.
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48 घंटे के अंदर डीसी ने एसडीएम से मांगा जवाब
रांची के डीसी छवि रंजन ने रांची एसडीएम समीरा एस. को निर्देश दिया है कि वे अगले 48 घंटे में मामले पर पूरी रिपोर्ट उन्हें सौंपे. अब एसडीएम रांची इस बात की जांच करेंगी कि जब खाता नंबर 119 के प्लॉट नंबर 336 पर धारा 144 लगी थी, उस वक्त जमीन पर कौन-कौन आये और किस तरह से काम हुआ.
इधर हेहल जमीन का मामला गरमाने के बाद हेहल सीओ सामने आने से बच रहे हैं. मीडिया में खबर चलने के बाद जब भी किसी तरह की कोई जानकारी के लिए हेहल सीओ दिलीप कुमार को फोन किया जाता है, तो वे फोन रिसीव नहीं करते हैं. सीनियर अधिकारियों ने इस बात की शिकायत भी की है. जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि हेहल जमीन मामले में सीओ की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं की जा रही है. वे न फोन उठाते हैं और न ही मैसेज का जवाब देते हैं. ऐसे में हेहल की जमीन पर हो रहे कब्जे को रोक पाने में काफी मुश्किल हो रही है.
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