Thiruvanthpuram : केरल हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने मंगलवार को वैक्सीन पर पीएम मोदी की तस्वीर को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. याद करें कि एक आरटीआई एक्टविस्ट ने जनहित याचिका दाखिल कर केरल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसने वैक्सीन सर्टिफिकेट से पीएम मोदी की तस्वीर हटाने से इंकार करते हुए एक लाख का जुर्माना लगाया था.
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एक्टविस्ट पीटर पीटर म्यालीपरम्पिल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगा था
21 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने एक्टविस्ट पीटर पीटर म्यालीपरम्पिल की याचिका खारिज करते हुए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था. मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी शाली की बेंच ने आज याचिकाकर्मा पीटर मयालीपरम्पिल की इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया. इससे पूर्व एकल पीठ ने कहा था कि वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर विज्ञापन नहीं है. प्रधानमंत्री को वैक्सीन प्रमाण पत्र के माध्यम से सभी को संदेश देने का अधिकार है. यह पीएम का संदेश है, विज्ञापन नहीं.
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सर्टिफिकेट में पीएम का फोटो नहीं होना चाहिए,
याचिका खारिज करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता को बताया कि इस संबंध में विस्तृत फैसला बाद में अपलोड किया जायेगा. खबरों के अनुसार याचिका अधिवक्ता अजीत जॉय के माध्यम से दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि उन लोगों के सर्टिफिकेट में पीएम का फोटो नहीं होना चाहिए, जिन्होंने इसके लिए भुगतान किया है.
याचिका इस आधार पर दायर की गयी थी कि किसी व्यक्ति के निजी प्रमाण पत्र में पीएम की तस्वीर को शामिल करने की कोई सार्वजनिक उद्देश्य या उपयोगिता नहीं है. कहा था कि यह याचिकाकर्ता की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करता है. उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 का भी हवाला दिया, जिसमें जबरन सुनने का भी विरोध किया गया है.
याचिकाकर्ता का तर्क कोर्ट ने खारिज किये
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि सरकारी संदेश और अभियान, विशेष रूप से जब वह सरकारी धन के इस्तेमाल कर दिये गये हों तो यह किसी व्यक्ति या नेता विशेष की तरफ से नहीं होने चाहिए. तर्क दिया कि प्रधानमंत्री एक राजनीतिक पार्टी के नेता हैं. याचिकाकर्ता के अनुसार, यह उनकी मतदान के लिए स्वतंत्र पसंद को प्रभावित करता है, जान लें कि एकल न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर को कोविड वैक्सीन प्रमाणपत्रों पर लगाये जाने पर आपत्ति जताने के पीछे उनकी मंशा पर सवाल उठाया था और इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद याचिकाकर्ता ने फैसले पर पुनर्विचार की अपील डाली. इसमें कानूनी और संवैधानिक आधारों को शामिल करते हुए अदालत में तर्क दिया गया. लेकिन कोर्ट ने सभी तर्क खारिज कर दिये.