Ranchi: एक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट के लिए मरीज के पेट से निगले उसके टूटे कृत्रिम दांतों को निकालना हमेशा ही चुनौतीपूर्ण होता है. लेकिन रांची के राज अस्पताल के डॉ. रवीश रंजन (MBBS, MD, DNB गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) ने यह कमाल कर दिखाया. डॉ. रवीश रंजन ने बिना चीरफाड़ के मरीज के पेट से उसके द्वारा निगले उसके टूटे कृत्रिम दांतों को निकाल दिया. बताया जाता है कि मरीज डॉ. रवीश रंजन से राज अस्पताल में पेट दर्द और कब्ज की शिकायत लेकर आया था.
रोगी ने लगभग 12 दिन पहले पानी पीते समय अपने कृत्रिम दांत की एक टूटी हुई पंक्ति को निगल लिया था. इस घटना के तीसरे दिन ही रोगी के पेट में तेज दर्द होने लगा और पेट फूलने के साथ-साथ मल त्यागने में असमर्थता होने लगी. उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उन्हें राइल्स ट्यूब एस्पिरेशन और आईवी तरल पदार्थ पर रखा गया था. भर्ती करने के तीसरे दिन रोगी को आराम मिला. फूला हुआ पेट कम होने लगा और पेट का दर्द भी कम हो गया. भर्ती होने के 5वें दिन उन्हें मौखिक रूप से आहार की अनुमति दी गई थी. लेकिन रोगी को फिर से पेट में दर्द होने लगा.
ऐसी हालत मैं जब मरीज डॉ रवीश रंजन के पास आया तो पहली बात जो उनके दिमाग में आई वह यह थी कि डेंचर (कृत्रिम दांतों की टूटी हुई पंक्ति) अपने आप नहीं निकलेगा. पेट और छाती का एक्स-रे किया गया. एक्स-रे में पेट में संदिग्ध अस्पष्टता दिखाई दी. अपर जीआई एंडोस्कोपी की गई जो सामान्य थी. प्लेन सीटी एब्डोमेन किया गया. जिसमें 30cc इंट्रा पेरिटोनियल कलेक्शन के साथ इलियल वेध सील्ड ऑफ पाया गया. साथ ही स्प्लेनिक फ्लेक्चर के आसपास कहीं हाइपरडेंस फॉरेन बॉडी के रूप में डेंचर देखा गया. ऐसे मामलों में जब मरीज बाहरी वास्तु को निगल लेता है तो एक बार जब वह बाह्य वास्तु इलियोकेकल जंक्शन को पार कर कोलोन में पहुंच जाता है तो यह अनायास बाहर आ सकता है.
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दो घंटे में निकाला डेंचर
लेकिन डेंचर फिर से वेध का कारण बन सकता है. तब डॉ रवीश रंजन ने इसे एंडोस्कोपिक रूप से हटाने का निर्णय लिया. कोलोनोस्कोपी से पता चला की डेंचर को बिना चीरफाड़ किये निकालना लगभग असंभव है. तब पानी के जेट का उपयोग करके हाइड्रो विच्छेदन किया गया. तब आंत से बिना खून का एक बूंद निकाले डेंचर को पेट से बाहर निकल लिया गया. अब रोगी में पेरिटोनिटिस के कोई संकेत या लक्षण नहीं हैं. इसमे दो घंटे का समय लगा और डेंचर निकल गया. बिना चीरफाड़ के डेंचर निकाले जाने पर मरीज ने प्रसन्नता जाहिर की और डॉ. रवीश रंजन को धन्यवाद दिया.
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