Govindpur : आध्यात्मिक समिति जियलगढा पंचायत द्वारा आयोजित भागवत कथा के पांचवें दिन देवी चित्रलेखा ने कहा कि गाय को पशु समझने वाला ही पशु है. गाय चलता फिरता मंदिर और अस्पताल है. गाय में करोडो देवी देवताओं का वास होता है. साथ ही गोमूत्र पान से कैंसर जैसी कई बीमारियां खत्म होती हैं. उन्होंने कहा कि देश में गाय की 80 से 90 प्रजातियां थी. इनमें अधिकांश लुप्त हो गई है. उन्होंने कहा कि माताओं ने धर्म को बचा कर रखा है. माताओं से धर्म के प्रति आस्था रखने परंतु अंधविश्वास से बचने की अपील की.
पूजा आसान है, भक्ति और प्रेम कठिन
उन्होंने कहा पूजा करना आसान है, पर भक्ति और प्रेम शर्मा कठिन भक्ति ही सब का मूल है. उन्होंने कहा किसी के कहने पर गाड़ी बदल लेते हैं, तो कभी-कभी मित्र भी बदलते हैं, परंतु अपना स्वभाव और कर्म नहीं बदलते. इस कारण उनका भाग्य नहीं बदलता. इसलिए हमें स्वभाव और कर्म को बदलना चाहिए. उन्होंने फिर भगवान् की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया कि बिना भाव के भक्ति संभव नहीं. भाव होने से भगवान खुद भक्त को समर्पित हो जाते है. जीव को भगवान के साथ किसी किसी रिश्ते से जुड़ना पड़ता है, चाहे भगवान् को वह अपना पिता स्वीकार करे मित्र या फिर प्रियतम.
भक्तों ने झूम- झूम कर किया नृत्य
प्रसंगों में देवीजी ने कंस मामा द्वारा भेजी गयी पूतना, शकटासुर, वकासुर आदि आदि राक्षसों के वध की कथा सुनाई और यमला अर्जुन नाम के दो शापित वृक्षों को भगवान् की बाल लीला द्वारा मुक्त कराने की कथा सुनाई. आगे भगवान की लीला में माखन चोरी का प्रसंग बताया कि कैसे भगवान ने माखन के साथ गोपियों का मन चुराया और गोपियों का चीर हरण कर उन्हें पवित्र जल श्रोतों में न स्नान करने की शिक्षा दी. गोवर्धन लीला का श्रवण कराया. कैसे भगवान इंद्रदेव का घमंड चूर किया. भगवान ने गिरिराज पर्वत उठा कर इंद्र द्वारा की गयी मूसलाधार बारिश से वृजवासियों को शरण दी. कथा के मध्य भजनों पर भक्तों ने झूम- झूम कर नृत्य किया.
मनोहर झांकियों से कथा का पान कराया
मनोहर झांकियों के द्वारा कथा का दर्शन पान कराया गया. इस अवसर पर गोविंदपुर बीडीओ संतोष कुमार, समाजसेवी शंभू नाथ अग्रवाल, मासस नेता जगदीश रवानी, मदनलाल गोयल, शंभूनाथ अग्रवाल, बलदेव महतो, कुमार महतो, अंकेश राज, रमा सिन्हा, कमल अग्रवाल, रविंद्र अग्रवाल, जयप्रकाश मिश्रा, राजीव कुमार झा, शिवपूजन गोप, गौतम गोप, संतोष मिश्रा, संजय गिरि , अजय गिरि, भवदेव सिंह, कृष्णा साव, उमाकांत वर्मा, सुदर्शन गोप आदि मौजूद थे.
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