NewDelhi : नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली फिल्मों की पहले स्क्रीनिंग की जानी चाहिए. नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर जारी कुछ वेबसीरीज में पॉर्नोग्राफी होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी गुरुवार को की. कहा कि ऐसे में इस प्लेटफॉर्म पर फिल्मों को पब्लिक के लिए रिलीज किये जाने से पहले स्क्रीनिंग की जानी चाहिए.
जान लें कि सुप्रीम कोर्ट तांडव वेबसीरीज वाद में एमेजॉन प्राइम वीडियो की हेड अपर्णा पुरोहित की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. एमेजॉन प्राइम की विडियो हेड ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी है. इस मामले पर फिर से कल शुक्रवार, 5 मार्च को सुनवाई होगी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट का अग्रिम जमानत देने से इनकार
25 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. यूपी पुलिस ने अपर्णा के खिलाफ केस दर्ज किया है. उन पर हिंदू देवी-देवताओं की छवि खराब करने का आरोप है. साथ ही आरोप लगाया गया है कि पीएम के किरदार को प्रतिकूल तरीके से दिखाया गया है.
सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम वीडियो जैसे ओटोटी से जुड़े रेगुलेशन्स को कोर्ट में पेश करने करने को कहा. SC ने इस बात पर जोर दिया कि इन प्लेटफॉर्म्स पर फिल्म रिलीज किये जाने से पहले उनकी स्क्रिनिंग होनी चाहिए.
OTT प्लेटफॉर्म्स को अपनी कंटेंट स्ट्रैटजी में बदलाव करना पड़ सकता है
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ऑवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स को अपनी कंटेंट स्ट्रैटजी में बदलाव करने पड़ सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ ऑन लाइन रीलीज हो रही फिल्मों, शोज पर चल रही सेंसरशिप की बात को भी बल मिलेगा..
अपर्णा पुरोहित का केस लड़ रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने उनके बचाव में कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए बनाये गये रेगुलेशन अभी हाल ही में आये हैं, ऐसे में वे उन रेगुलेशन को जल्द ही देखेंगे. उन्होंने अर्पिता के बचाव में यह भी कहा कि वह अमेजन की एक कर्मचारी हैं. ऐसे में कार्रवाई उनके खिलाफ होनी चाहिए जिन्होंने वेब सीरीज बनाई है.