Mumbai : क्या उद्धव ठाकरे के रिश्ते भाजपा के साथ हमेशा के लिए खत्म हो गये हैं? उनके ताजा बयान से तो यही लगता है. कल देर रात उद्धव ठाकरे नगर सेवकों से बात करते हुए इस्तीफे की पेशकश की. कहा कि अगर आपको लगता है कि मैं पार्टी नहीं चला सकता, तो मुझे बतायें. इस क्रम में फिर कहा कि उन्हें पद का कोई लोभ नहीं है और अगर लगता है कि वह शिवसेना का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं तो खुद को पार्टी से अलग करने को तैयार हूं. इस क्रम में उद्धव ठाकरे भाजपा पर बरसे. BJP के साथ हाथ मिलाने के सुझाव को दरकिनार करते हुए कहा कि उन पर और उनके परिवार पर व्यक्तिगत हमले करने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बैठने की कोई संभावना नहीं है.
BJP, that defamed our party, my family, is the one you are talking about going with. Such a question doesn’t even arise. If MLAs want to go there they can, all of them can. I won’t. If someone wants to go – be it an MLA or someone else – come & tell us and then go: Maharashtra CM pic.twitter.com/N8W0tGO7uP
— ANI (@ANI) June 24, 2022
विधायकों ने पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ली थी
बता दें कि शिवसेना के जिलाध्यक्षों को वीडियो लिंक के माध्यम से शुक्रवार को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा, मुझ पर कुछ विधायकों का भाजपा से हाथ मिलाने का दबाव था. कहा कि मातोश्री और मेरे परिवार पर हमला करने वालों के साथ मैं फिर कभी नहीं बैठ सकता हूं. मैं शांत हो सकता हूं, लेकिन मैं कमजोर नहीं हूं. जान लें कि एकनाथ शिंदे गुट के बागी विधायकों ने कहा था कि पार्टी को चाहिए कि वह भाजपा के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित करे. शिंदे गुटवैचारिक रूप से विरोधी माने जाने वाली कांग्रेस और एनसीपी से अलग होने की मांग भी रखी थी. उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों की मांग पर कहा कि जिन्हें हमने आगे बढ़ाया, उनकी महत्वाकांक्षाएं कई गुना बढ़ गयी है. मैं उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकता. उद्धव ने कहा कि बागी विधायकों ने पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ली थी लेकिन जरूरत के समय उन्होंने साथ छोड़ दिया.
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फंड की कमी के आरोपों से इनकार किया
शिवसेना प्रमुख उद्धव ने बगावत करने वाले विधायकों की मंशा पर सवाल उठाया. कहा कि कुछ विधायकों ने कहा था कि भले ही उनके टिकट काट दिये गये हों, लेकिन वे शिवसेना नहीं छोड़ेंगे. लेकिन अब वे अलग हो ग. तो उन्हें जाने दो. कहा कि कई लोगों ने फंड की कमी की शिकायत की, जबकि मैं समान रूप से फंड आवंटित करने पर काम कर रहा हूं. याद दिलाया कि पिछली बगावत के बाद, शिवसेना दो बार सत्ता में आयी है. दोनों बार मैंने इन लोगों को महत्वपूर्ण पद दिये हैं.