Ranchi : पूर्व की रघुवर सरकार पर सबसे बड़ा आरोप मोमेंटम झारखंड घोटाले को लेकर लगता रहा है. वहीं वर्तमान में हेमंत सरकार द्वारा इस घोटाले की जांच की बात की जाती रही है. हेमंत सरकार ने इसे लेकर जांच के निर्देश भी दिये हैं. यह जांच अब उस फुटबॉल की तरह हो गई है, जिसे किक मारने पर वह गोल-गोल घूमती रहती है. बता दें कि 16 और 17 फरवरी 2017 को आयोजित हुए मोमेंटम झारखंड में शुरू से ही गड़बड़ी और ज्यादा खर्च करने के आरोप लगते रहे हैं. जांच और नतीजे की ओर ध्यान दिया जाये तो रघुवर सरकार में हुए कथित मोमेंटम घोटाले को लेकर सबसे पहले सोशल ऑडिट के निर्देश, फिर एसीबी और अब सीआईडी जांच, लेकिन नतीजा ढाई साल में ‘जीरो’ ही निकलता दिख रहा है.
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ढाई साल में जांच एजेंसियां बदल गयी पर जांच अधूरी
मोमेंटम झारखंड सहित रघुवर सरकार के कार्यकाल में जिन-जिन कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, उन सभी की जांच कराने की बात कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सत्ता हासिल की थी. मुख्यमंत्री का पद संभालते ही हेमंत सोरेन ने उद्योग विभाग से मोमेंटम झारखंड से संबंधित फाइल मंगाई थी. सीएम ने घोटाले की जांच के भी निर्देश दिये. लग तो यही रहा था कि हेमंत सरकार मोमेंटम झारखंड में कथित घोटाले की तह तक पहुंच कर ही दम लेगी. लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि सरकार के ढाई साल बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है. लेकिन जांच करने वाली एजेंसियां जरूर बदल गयी हैं.
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पहले सोशल ऑडिट, एसीबी और अब सीआईडी से जांच
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 20 मार्च 2020 को मोमेंटम झारखंड की स्पेशल ऑडिट कराने का आदेश दिया था. आदेश के बाद उद्योग विभाग द्वारा स्पेशल ऑडिट कराने की अनुशंसा करते हुए महालेखाकार को पत्र भेजा गया था. इससे पहले 9 फरवरी 2020 को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को पत्र भेजकर मोमेंटम झारखंड मामले में पीई (प्रारंभिक जांच) दर्ज कर अनुसंधान शुरू करने की अनुमति मांगी थी. सीएम ने इसकी जांच एसीबी से कराने की अनुमति भी दे दी थी. एसीबी के मामले में ही फाइल पर विचार-विमर्श होते-होते डेढ़ वर्ष बीत गए थे. अब सोरेन सरकार ने तय किया कि पहले सीआइडी से इसकी जांच कराई जाएगी.
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केवल दहशत फैलाने के लिए जांच- सरयू राय
मामले की जांच अब सीआईडी से कराने के सरकार के फैसले से पूर्वी जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने भी नाराजगी जतायी है. बता दें कि सरयू राय मोमेंटम झारखंड में हुए कथित घोटाले जांच की हिमायती रहे हैं. लगातार न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब पहले ही मामले की जांच का जिम्मा एसीबी को मिला है, तो फिर सीआईडी से अनुसंधान कराने का क्या औचित्य. जिन मुद्दों पर जांच कर एसीबी ने रिपोर्ट बनायी, उसपर पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई. आखिर इसमें पेंच क्या है. और अब सीआईडी से जांच की पहल. सरयू ने कहा यह सर्वविदित है कि एसीबी और सीआईडी पहले से ही कर्मियों की समस्या से जूझ रहा है. अगर जांच एजेंसियों से मामले की निष्पक्षता से जांच करानी है, तो पहले पर्याप्त संसाधन की व्यवस्था होनी चाहिए. केवल दहशत फैलाने के लिए जांच का निर्देश देने का कोई औचित्य नहीं है.
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